रमन सिंह फंस सकते हैं मुसीबत में, पूर्व मुख्यमंत्री और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग

By भाषा | Published: December 7, 2019 06:17 AM2019-12-07T06:17:50+5:302019-12-07T06:17:50+5:30

कुमार ने कहा कि इस घटना में लगभग 200 सुरक्षाकर्मी शामिल थे और पुलिस उन्हें बचाने का प्रयास कर रही है

Demand to register a case against former Chief Minister Raman Singh and police officers | रमन सिंह फंस सकते हैं मुसीबत में, पूर्व मुख्यमंत्री और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग

रमन सिंह फंस सकते हैं मुसीबत में, पूर्व मुख्यमंत्री और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग

Highlightsरमन सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और आदिवासियों ने थाने के समक्ष धरना दिया रमन सिंह तथा उस दौरान बीजापुर और बस्तर क्षेत्र में पदस्थ वरिष्ठ पुलिस अधिकरियों और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की

 छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा में कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और आदिवासियों ने थाने के समक्ष धरना दिया। हालांकि पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया है। पुलिस का कहना है कि मुठभेड़ के बाद इस पर पहले ही प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में सारकेगुड़ा मामले में गठित न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट के पेश होने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार और सोनी सोरी आज आदिवासियों के साथ थाने पहुंच गए तथा उन्होंने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा उस दौरान बीजापुर और बस्तर क्षेत्र में पदस्थ वरिष्ठ पुलिस अधिकरियों और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की।

हिमांशु कुमार ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सारकेगुड़ा मुठभेड़ फर्जी थी। जब आदिवासियों पर गोलीबारी की गई तब वहां कोई भी नक्सली मौजूद नहीं था। इस घटना के पीछे जो लोग हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए।

कुमार ने कहा कि इस घटना में लगभग 200 सुरक्षाकर्मी शामिल थे और पुलिस उन्हें बचाने का प्रयास कर रही है। हम सब इस घटना के दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर पुलिस थाने के सामने बैठ गए हैं तथा जब तक उनके खिलाफ मामला दर्ज नहीं हो जाता है तब तक नहीं हटेंगे। राज्य के बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा गांव में 28—29 जून वर्ष 2012 की दरम्यानी रात सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ की पुलिस ने 17 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया था। इस घटना में सात नाबालिग भी थे। पुलिस ने दावा किया था कि नक्सलियों के एकत्र होने बारे में मिली जानकारी के बाद उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया था। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वीके अग्रवाल के नेतृत्व वाली एक सदस्यीय जांच आयोग की रिपोर्ट को इस महीने की दो तारीख को विधानसभा में पेश किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा बलों ने बैठक कर रहे ग्रामीणों पर गोलीबारी की थी, जिससे आदिवासियों की मौत हुई थी तथा कुछ घायल हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीणों की बैठक में किसी भी माओवादियों के शामिल होने की जानकारी नहीं है। न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आश्वासन दिया था कि किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं बस्तर पुलिस का कहना है कि इस मामले में वह राज्य सरकार के निर्देशों का इंतजार कर रही है। । बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने कहा है कि पुलिस ने 2012 में सारकेगुडा की घटना के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की थी और मामले में अदालत में आरोप पत्र भी पेश किया गया था।

कानूनी तौर पर हम एक जैसी घटना में दो मामले दर्ज नहीं कर सकते हैं। हम राज्य सरकार से इस मामले में कानूनी राय ले रहे हैं। सुंदरराज ने न्यायिक जांच आयोग के निष्कर्षों पर कहा कि राज्य सरकार के निर्देश के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इधर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि इस मामले का राजनीतिकरण किया जा रहा है। न्यायिक आयोग ने पहले ही राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट दे दी है और अब आगे की कार्रवाई करना उनकी जिम्मेदारी है। भाषा सं. संजीव नीरज नीरज

Web Title: Demand to register a case against former Chief Minister Raman Singh and police officers

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