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Delhi Violence: हिंसा के बीच मुस्लिम पड़ोसियों ने पहरेदारी कर युवती की कराई शादी, तो रोते हुए युवती ने ये कहा

By अनुराग आनंद | Updated: February 28, 2020 19:26 IST

अपने शादी वाले दिन घर के बाहर सड़कों से आ रहीं गोलियों और बमबारी की आवाजें उन्हें लगातार डरा रही थीं। सावित्री के पिता ने हिंसा के चलते एक दिन के लिए शादी टाल दी थीं। लेकिन, अगले दिन भी हिंसा नहीं रुकी तो पड़ोसी लोगों की मदद से शादी संपन्न हुई।

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ठळक मुद्देकरावल नगर में भी 45 साल की महिला की जवान बेटी को पड़ोसी ने दंगाइयों से बचाया।दिल्ली हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत हो गई है जबकि करीब 250 लोग घायल हैं।

दिल्ली के कई हिस्से में जब बीते मंगलवार को हिंसा फैली हुई थीं। इसी समय हाथों में मेंहदी लगाए दुलहन के लिवास पहने 23 साल की सावित्री अपने घर में बैठकर फफक-फपक कर रो रही थीं। अपने शादी वाले दिन घर के बाहर सड़कों से आ रहीं गोलियों और बमबारी की आवाजें उन्हें लगातार डरा रही थीं। सावित्री के पिता ने हिंसा के चलते एक दिन के लिए शादी टाल दी थीं। लेकिन, अगले दिन भी हिंसा नहीं रुकी।

ऐसे में मुस्लिम पड़ोसियों ने घर की पहरेदारी की और सावित्री की उनके मंगेतर गुलशन से शादी संपन्न हुई। शादी के बाद सावित्री के पिता बोले कि उनके मुस्लिम पड़ोसी उनके परिवार की तरह हैं और उनकी मौजूदगी में वह सुरक्षित महसूस करते हैं।

वहीं, समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए नवविवाहिता सावित्री बोलीं, 'मेरे मुस्लिम भाई मुझे बचा रहे हैं।' यह कहते हुए वह फफक-फफक कर रो पड़ीं और उनके घरवाले व पड़ोसी उन्हें संभालने लगे। सावित्री के पिता भोले प्रसाद ने कहा कि वह इस इलाके में मुस्लिम पड़ोसियों से साथ कई सालों से रह रहे हैं और कभी कोई समस्या नहीं हुई।

करावल नगर में भी 45 साल की महिला की जवान बेटी को पड़ोसी ने दंगाइयों से बचाया-इसी तरह उत्तरपूर्वी दिल्ली के अल हिंद अस्पताल में 45 वर्षीय महिला दंगा भड़कने के दौरान उनके साथ हुए खौफनाक वाकये को याद कर सिहर जाती हैं। महिला ने बताया कि भीड़ के उनके घर में घुस आने और उनके तथा उनकी दो बेटियों के साथ बदसलूकी की घटना को याद करते हुए वह बताती हैं, “हमने खुद को बचाने के लिए अपने-अपने शरीर पर दुपट्टा लपेटा और पहली मंजिल से कूद गए।”

बता दें कि बुधवार की रात का यह डरावना ख्वाब तभी खत्म हुआ जब महिलाएं जान बचाते हुए मुस्लिम बहुल गली में पहुंची। करावल नगर में एनजीओ चलाने वाली महिला की आंखों में यह बताते-बताते आंसू आ गए।

उन्होंने बताया, “मैं घर पर ही थी जब भीड़ मेरे घर में घुस आई। मेरे साथ और मेरी दो बेटियों के साथ बदसलूकी की गई और भीड़ ने हमारे कपड़े फाड़ दिए।” उन्होंने बताया कि भीड़ ने उनका पीछा किया लेकिन उनके एक जानकार दुकानदार अय्यूब अहमद के घर पहुंचने के बाद भीड़ गायब हो गई।

उन्होंने कहा, “जब हम अहमद के घर पहुंचे, उन्होंने हमें खाना और अन्य जरूरी चीजें दीं और बाद में हमें अल हिंद अस्पताल लेकर आए। मैं उन शरारती तत्वों की पहचान कर सकती हूं क्योंकि वे हमारी गली के ही थे।”

अहमद ने बताया कि घटना के बाद से महिलाएं सदमे में हैं। ये महिलाएं उन कई महिलाओं में से एक थीं जिन्हें हिंसा प्रभावित उत्तरपूर्व दिल्ली में सशस्त्र भीड़ के हमलों के बाद पिछले कुछ दिनों में अल हिंद अस्पातल लाया गया। सभी के पास कुछ न कुछ खौफनाक बताने के लिए है।

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