देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने दिल्ली हिंसा की रिपोर्टिंग के सिलसिले में दो मलयालम चैनलों पर 48 घंटों के लिए प्रतिबंध लगाया दिया था, जिसके बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने देश में 'अघोषित आपातकाल' करार दिया था। सीएम के बयान पर केंद्रीय मंत्री ने पलटवार किया है और कहा है कि पिनराई विजयन को संविधान पढ़ना चाहिए।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने सोमवार (09 मार्च) को कहा कि दोनों टीवी चैनलों के प्रतिबंध पर अपनी राय व्यक्त करने से पहले राज्य के मुख्यमंत्री को संविधान पढ़ना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार प्रेस स्वतंत्रता के लिए खड़ी रही है।
मुरलीधरन ने कहा कि प्रतिबंध एक पक्ष की रिपोर्टिंग के लिए नहीं किया गया है बल्कि केबल प्रसारण और ब्रॉडकास्टिंग के नियमों का उल्लंघन करने के लिए किया गया। इससे अलावा कुछ भी नहीं है। यदि केरल के मुख्यमंत्री को लगता है कि यह एक अघोषित आपातकाल है, तो इसका मतलब है कि उन्होंने संविधान को नहीं समझा है। उन्हें पहले संविधान पढ़ना चाहिए फिर अपनी राय व्यक्त करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार हमेशा प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खड़ी रही है। हम ऐसे लोग हैं जो आपातकाल के दौरान मीडिया के अधिकारों को बरकरार रखने के लिए जेल गए। मीडिया पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहते।
बता दें कि चैनल बैन होने के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि देश में 'अघोषित आपातकाल' चल रहा है। यह भविष्य के खतरों का संकेत है। केंद्र सरकार ने सभी सीमाओं को लांघते हुए प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया। खतरा है कि अगर कोई आरएसएस और संघ परिवार की आलोचना करता है तो उसे सबक सिखाया जाएगा।
दिल्ली में पिछले महीने हुए दंगों की कवरेज को लेकर एशियानेट न्यूज और मीडिया वन का प्रसारण 48 घंटे के लिए रोक दिया गया था। आधिकारिक आदेश में कहा गया था कि उन्होंने 25 फरवरी की घटनाओं को इस तरह से कवर किया जिसमें 'पूजा स्थलों पर हमले को उजागर किया गया और एक खास समुदाय का पक्ष लिया गया।' बहरहाल, शनिवार की सुबह को प्रतिबंध हटा लिया गया था।