(सलोनी भाटिया)
नयी दिल्ली, पांच दिसंबर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने यहां कहा कि मौजूदा कट-ऑफ आधारित प्रवेश प्रणाली उन बोर्ड के छात्रों के लिये हानिकारक है, जहां अंकन (मार्किंग) ''सख्त'' है।
उन्होंने आशा व्यक्ति की कि अगले वर्ष इसमें बदलाव किया जाएगा।
सिंह ने कहा कि उन्होंने प्रवेश के आंकड़ों को देखने के लिए एक समिति का गठन किया है और समिति की सिफारिशों पर 10 दिसंबर को होने वाली अकादमिक परिषद की बैठक में विचार किया जाएगा।
उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' को दिये साक्षात्कार में कहा, ''हमारे पास प्रवेश के लिए कई विकल्प हैं। इनमें पहला विकल्प मौजूदा प्रणाली को जारी रखना, दूसरा विभिन्न बोर्डों के अंकों का सामान्यीकरण करना, तीसरा प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करना और चौथा प्रवेश परीक्षा में छूट देना शामिल हैं।
कट-ऑफ (मेरिट-आधारित) प्रणाली को जारी रखने पर अपने व्यक्तिगत विचार के बारे में बात करते हुए, सिंह ने कहा कि वह इसे सही नहीं मानते। उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि मौजूदा प्रणाली के तहत जिन बोर्डों के पास ''लचीली'' अंकन प्रणाली है, उन्हें अन्य के मुकाबले फायदा मिलता है, जबकि सख्त अंकन वाले बोर्ड के छात्रों को नुकसान होता है।
सिंह ने कहा, ''उदाहरण के लिए, यूपी बोर्ड के छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं मिल रहा है। कुछ बोर्ड उदार नहीं हैं। यहां तक कि हरियाणा बोर्ड और पड़ोसी राज्यों के छात्रों को भी यहां प्रवेश नहीं मिल रहा है। हमें केरल से बड़ी संख्या में छात्र मिल रहे हैं, लेकिन तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश से नहीं।''
उन्होंने कहा, ''यह अच्छी बात है कि हम केरल में लोकप्रिय हैं, लेकिन हमें इसे (अन्य बोर्ड के छात्रों को डीयू में प्रवेश नहीं मिलने) हल करने की जरूरत है।''
उन्होंने जोर देकर कर कहा कि विभिन्न प्रक्रियाओं पर फिर से विचार करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि एक साल में चीजें बदल जाएंगी।
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