जेएनयू के कुलपति की भाषा बोल रही है दिल्ली पुलिस: JNUSU
By भाषा | Updated: January 11, 2020 07:04 IST2020-01-11T07:02:56+5:302020-01-11T07:04:20+5:30
रविवार को जेएनयू में नकाबपोश हमलावरों ने हमला कर दिया था जिसमें घोष समेत 35 लोग जख्मी हो गए थे। जेएनयूएसयू ने आरोप लगाया कि पुलिस की ब्रीफिंग में तथ्यों में तोड़ा-मरोड़ा गया है जिसमें अर्धसत्य और झूठ था।

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने दिल्ली पुलिस पर विश्वविद्यालय के कुलपति की भाषा बोलने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कहा कि जिनपर हमला किया गया उन्हें ही ‘‘संग्दिध बताकर फंसाया’’ जा रहा है। दरअसल, पुलिस ने जेएनयू हिंसा मामले में शुक्रवार को नौ संदिग्धों की तस्वीरें जारी की और दावा किया कि जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष उनमें से एक हैं। इसके बाद छात्र संघ ने यह बयान दिया है।
रविवार को जेएनयू में नकाबपोश हमलावरों ने हमला कर दिया था जिसमें घोष समेत 35 लोग जख्मी हो गए थे। जेएनयूएसयू ने आरोप लगाया कि पुलिस की ब्रीफिंग में तथ्यों में तोड़ा-मरोड़ा गया है जिसमें अर्धसत्य और झूठ था।
उसने कहा, ‘‘बहुत अहम तथ्य यह है कि पुलिस उपायुक्त ने सभी वाम संगठनों का नाम लिया लेकिन एबीवीपी का नाम इसमें नहीं था।’’ जेएनयूएसयू ने कहा कि एबीवीपी पर पुलिस की चुप्पी सबकुछ बयान कर रही है और हिंसा में वाम संगठनों को फंसाने की उसकी चाल संकेत करती है कि यह ‘‘जांच राजनीतिक तफ्तीश’’ है।
अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त जॉय टिर्की ने कहा कि एसएफआई, एआईएसए, डीएसएफ, एआईएसएफ ने विश्वविद्यालय के शीत समेस्टर के लिए हाल में शुरू हुई ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया के खिलाफ कथित रूप से हंगामा किया और छात्रों को धमकाया।
इस मामले के संदिग्धों में एबीवीपी के विकास पटेल और योगेंद्र भारद्वाज का नाम भी हैं। जेएनयूएसयू ने कहा कि उन्होंने (पुलिस उपायुक्त) ने योगेंद्र भारद्वाज और विकास पटेल के नाम को ‘निष्पक्षता का ढोंग दिखाने’ के लिए लिया जिसे कोई गंभीरता से नहीं लेगा।
बयान में दावा किया गया है कि पुलिस उपायुक्त इस बात का उल्लेख करने में विफल रहे कि दोनों एबीवीपी के थे। बयान में कहा गया है कि पहचाने गए लोगों में से अधिकतर प्रगतिशील संगठनों से जुड़े हैं जो हिंसा का शिकार हुए। उन्हें एबीवीपी की ओर झुकाव रखने वाले फेसबुक और व्हाट्सएप समूहों से छेड़छाड़ की हुई और फर्जी वीडियो के आधार पर हिंसा में फंसाया जा रहा है। जेएनयूएसयू ने आरोप लगाया कि इस पूरी कवायद का मकसद एबीवीपी को बचाना है और ‘‘खासकर पांच जनवरी को दक्षिणपंथी गुंडागर्दी’’ से ध्यान हटाना है।