'स्मॉग' के लिए पराली को ही ना दें दोष, अपने गिरेबां में भी झांकें

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 12, 2018 08:15 AM2018-11-12T08:15:48+5:302018-11-12T08:45:57+5:30

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि देश के ज्यादातर शहरों की हवा इन दिनों सेहत के लिए बेहद खराब है. इतनी खराब कि लम्बे समय तक संपर्क में रहने से यह जानलेवा भी हो सकती है. खासकर दिल्ली और एनसीआर में 'स्मॉग' के लिए पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाए जाने को जिम्मेदार माना जा रहा है.

Delhi - NCR Smog Issue: Parali is not only responsible for Delhi's air quality | 'स्मॉग' के लिए पराली को ही ना दें दोष, अपने गिरेबां में भी झांकें

'स्मॉग' के लिए पराली को ही ना दें दोष, अपने गिरेबां में भी झांकें

लखनऊ, 12 नवंबर: सर्दियों की दस्तक के साथ ही खासकर दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की फिज़ा पर छाया जहरीला 'स्मॉग' फिर सुर्खियों में है. इस नुकसानदेह धुंध के लिए कृषि अवशेषों यानी 'पराली' जलाए जाने को दोष दिया जा रहा है, मगर विशेषज्ञों की राय इससे अलहदा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि देश के ज्यादातर शहरों की हवा इन दिनों सेहत के लिए बेहद खराब है. इतनी खराब कि लम्बे समय तक संपर्क में रहने से यह जानलेवा भी हो सकती है. खासकर दिल्ली और एनसीआर में 'स्मॉग' के लिए पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाए जाने को जिम्मेदार माना जा रहा है.हालांकि भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष कृष्णवीर चौधरी इससे इत्तेफाक नहीं रखते. उन्होंने बताया कि अगर सिर्फ पराली ही जिम्मेदारी होती तो पंजाब से लेकर दिल्ली तक जितने शहर पड़ते हैं, उनमें भी यह हालत होनी चाहिये थी. लेकिन अम्बाला, कुरुक्षेत्र, हिसार और सिरसा में ऐसे हालात बिल्कुल नहीं हैं. यह संभव नहीं है कि मोगा में पराली जलाई जा रही है और वहां से पूरा कार्बन सीधे दिल्ली और एनसीआर में आ जाता है.

मैं मानता हूं कि 'स्मॉग' के लिए पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है. समस्या की जड़ कहीं और ही है: चौधरी भारतीय राज्य फार्म निगम के अध्यक्ष रह चुके चौधरी ने कहा ''समस्या की जड़ कहीं और ही है. पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर में इतनी कारें चल रही हैं कि तमाम सड़कें जाम हैं. हालत बहुत खराब है, मगर उस पर कोई चर्चा नहीं करता. तीन दिन पहले आठ किलोमीटर तक गुड़गांव-दिल्ली के बीच तीन घंटे जाम लगा रहा. यह बहुत मायने रखता है. कितनी हजार गाडि़यां चल रही थीं, उनसे कितना धुआं निकल रहा था. और औद्योगिक प्रदूषण भी तो है.'' राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वी. एम. सिंह भी चौधरी की राय से सहमति रखते हैं. उनका कहना है कि किसान सबसे कमजोर हैं, उन पर ठीकरा फोड़ना बहुत आसान है. सवाल यह है कि पराली तो सदियों पहले से जलाई जा रही है, तब यह दिक्कत क्यों नहीं आई.उन्होंने कहा कि हकीकत कुछ और ही है, हमें यह समझना होगा. पराली की समस्या सुलझाने के सरकार के ठोस इंतजाम नहीं : कृष्णवीर चौधरी ने कहा कि वह मानते हैं कि पराली जलाना अच्छी बात नहीं है. इसका पक्का उपाय भी मौजूद है लेकिन सरकार के पास उसे किसानों तक पहुंचाने का ठोस इंतजाम नहीं है.उन्होंने बताया कि कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय जैविक केंद्र ने वेस्ट डी.कम्पोजर बनाया है. अगर 200 लीटर पानी में दो किलो गुड़ घोलकर उसमें वेस्ट डी.कम्पोजर मिलाकर खेत की सिंचाई कर दी जाए तो 15 दिन के अंदर पराली गलकर खाद बन जाएगी. वेस्ट डी.कम्पोजर मात्र 20 रुपए में मिलता है. केंद्र सरकार ने पराली को जमीन में दबाने के उपकरण खरीदने के लिए किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी की व्यवस्था की है. अगर साधन सहकारी समितियों को प्रदेश सरकारें मदद कर दें तो इससे समस्या काफी हद तक हल हो सकती है, क्योंकि उन्हें उपकरण पर 80 फीसदी सब्सिडी मिलती है. किसान खरीद भले ना सके, मगर किराए पर तो ले ही सकता है. सर्दियों में इसलिए सरदर्द बनता है 'स्मॉग': सर्दियों में 'स्मॉग' छाने के कारणों के बारे में आंचलिक मौसम केंद्र के निदेशक जे. पी. गुप्ता ने बताया कि सर्दियों के मौसम में धुएं के कण नमी के कारण आपस में चिपक जाते हैं, जिससे वे वातावरण में ऊपर नहीं जा पाते हैं. इसी वजह से स्मॉग बन जाता है. साथ ही जाड़ों में हवा नहीं चलने से वे कण दूसरी जगह भी नहीं जा पाते. यह सही है कि रोजाना भारी मात्रा में प्रदूषण पैदा होता है, मगर उसकी असली गंभीरता सर्दियों के मौसम में ही पता लगती है.

दिल्ली में अब भी गंभीर है हवा की गुणवत्ता

मौसम की प्रतिकूल स्थितियों और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने की घटनाओं में उल्लेखनीय फबढ़ोतरी के कारण दिल्ली में हवा की गुणवत्ता 'बेहद गंभीर' श्रेणी में बनी हुई है.केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 423 दर्ज किया गया.सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, रविवार को पीएम2.5 (हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर से कम के व्यास के प्रदूषक कण) का स्तर 299 जबकि पीएम10 (हवा में मौजूद 10 माइक्रोमीटर से कम के व्यास के प्रदूषक कण) का स्तर 477 दर्ज किया गया.दिल्ली में 28 इलाके 'बेहद गंभीर' श्रेणी में रहे जबकि सात इलाकों में हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' दर्ज की गई.

Web Title: Delhi - NCR Smog Issue: Parali is not only responsible for Delhi's air quality

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