नई दिल्ली: 5000 अध्यापकों के ट्रांसफ ऑर्डर पर दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने भले ही रविवार को रोक लगा दी है, लेकिन अब मामले ने राजनीतिक मोड़ ले लिया है। इस क्रम में दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने बयान देते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार को दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था रास नहीं आ रही है, इसलिए ये तुगलकी फरमान हड़बड़ी में 2 जुलाई को रातोंरात करीब 1:30 बजे उप राज्यपाल के जरिए निकलवाया गया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब स्कूलों को बर्बाद करने का भाजपा का षड्यंत्र फेल हो गया है। गौरतलब है कि ये सभी अध्यापक पिछले दस साल उन्हीं सरकारी स्कूल में अपनी सेवा दे रहे हैं।
वहीं, पहले के दिल्ली शिक्षा निदेशालय (डेल ई) ने एक परिपत्र जारी कर उन सरकारी स्कूल शिक्षकों से, जिन्होंने किसी विशेष स्कूल में 10 साल पूरे कर लिए हैं, स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन करने को कहा था।
नोटिस में कहा गया था कि सभी शिक्षक जिन्होंने एक ही स्कूल में लगातार 10 साल पूरे कर लिए हैं, उन्हें अनिवार्य रूप से पारस्परिक या सामान्य स्कूलों की अधिकतम संख्या के आधार पर ट्रांसफर के लिए इस परिपत्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा। ऐसे शिक्षक जो इस परिपत्र के तहत ऑनलाइन आवेदन नहीं करते हैं, मुख्यालय स्वयं उन्हें आधिकारिक आवश्यकता के अनुसार किसी भी स्कूल में ट्रांसफर कर देगा।
मंत्री आतिशी ने आज कहा.. दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने कहा कि 2 जुलाई को ट्रांसफर ऑर्डर को समझने के लिए दिल्ली में सरकारी स्कूलों के माध्यम से जो क्रांति आई है, उससे दिल्ली के स्कूलों में सुधार हुआ और सरकारी स्कूलों के नतीजे निजी स्कूलों से बेहतर आएं। दिल्ली में रहने वाले गरीब से गरीब बच्चें पास होकर नीट और जेईई के माध्यम से बड़े-बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले रहे हैं, ऐसी शिक्षा क्रांति भारतीय जनता पार्टी अपने द्वारा राज्यों में शासित सरकारों के द्वारा नहीं दे सकती है।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा में सरकारी स्कूल टूटे-फूटे हाल में है, गरीब से गरीब परिवार का लोग सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को नहीं भेजना चाहता है, दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 10 साल की मेहनत से आज दिल्ली के सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूल से बेहतर हो गए हैं। भारतीय जनता पार्टी से दिल्ली की शिक्षा क्रांति हजम नहीं हो रही है।