नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि कोयले की कमी के कारण राष्ट्रीय राजधानी के लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की आपूर्ति करने वाले उत्पादन संयंत्रों में कोयला और गैस पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि बवाना संयंत्र में गैस की आपूर्ति बहाल होने के बाद दो दिन के लिए संकट टल गया है।
उन्होंने कहा कि अगर आने वाले दिनों में एनटीपीसी लिमिटेड की ओर से बिजली की आपूर्ति नहीं की गई तो राष्ट्रीय राजधानी में 'ब्लैकआउट' हो सकता है। मंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि यह संकट 'मानव निर्मित' है। जैन ने आज बिजली विभाग और बिजली वितरण कंपनियों के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की और इस मुद्दे तथा इसके संभावित समाधान पर चर्चा की।
बिजली वितरण कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गणेश श्रीनिवासन ने शनिवार को कहा कि देशभर में कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन कम हो गया है और आने वाले दिनों में दिल्ली में बारी-बारी से बिजली कटौती हो सकती है।
उन्होंने एक बयान में कहा कि दिल्ली में बिजली वितरण कंपनियों को बिजली की आपूर्ति करने वाले कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के पास लागू नियमनों के अनुसार 20 दिन के मुकाबले सिर्फ एक-दो दिन के लिए ही उत्पादन आवश्यकताओं को पूरा करने को कोयला भंडार है।
राष्ट्रीय राजधानी की बिजली नियामक संस्था डीईआरसी ने संकट पर एक आपातकालीन बैठक बुलाई और बढ़ती कीमतों के मद्देनजर बिजली वितरण कंपनियों को बिजली खरीद पर ढील दी। दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) ने बिजली मंत्रालय से तत्काल हस्तक्षेप करने और दिल्ली में बिजली की आपूर्ति करने वाले संयंत्रों को ईंधन की आपूर्ति करने का आग्रह किया है।
केजरीवाल ने कहा कि वह स्थिति पर नजर रखे हैं और उनकी सरकार बिजली संकट को टालने की पूरी कोशिश कर रही है। केजरीवाल ने ट्वीट किया, ''दिल्ली को बिजली की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। मैं व्यक्तिगत रूप से इस स्थिति पर नजर रख रहा हूं। ऐसी स्थिति न आए इसके लिए हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस बीच, मैंने माननीय प्रधानमंत्री को व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने के लिए पत्र लिखा है।''
पत्र में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान अगस्त/सितंबर से जारी कोयले की कमी पर आकृष्ट कराया। उन्होंने लिखा, ''दिल्ली को बिजली आपूर्ति करने वाले प्रमुख केंद्रीय उत्पादन संयंत्र इससे प्रभावित हैं।'' केजरीवाल ने अन्य संयंत्रों से, दिल्ली में बिजली की आपूर्ति करने वाले दादरी-दो और झज्जर टीपीएस जैसे संयंत्रों को उचित मात्रा में कोयला उपलब्ध कराने के वास्ते हस्तक्षेप करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया।
उन्होंने शहर में बिजली की आपूर्ति करने वाले बवाना, प्रगति-एक और जीटीपीएस को गैस आवंटित करने का भी अनुरोध किया। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए केजरीवाल ने कहा कि एनटीपीसी दादरी-दो, झज्जर और डीवी (सीटीपीएस) संयंत्रों में एक दिन का और सिंगरौली संयंत्र में चार दिन का कोयला भंडार है। उन्होंने कहा कि मेजा में कोई भंडार नहीं है। केजरीवाल ने एक्सचेंज के जरिये बेची जाने वाली बिजली की अधिकतम दर तय करने का भी अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में निर्बाध रूप से बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा सुझाये गए उपायों को अमल में लाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में राष्ट्रीय और रणनीतिक महत्व के संस्थान हैं और इसके अलावा टीकाकरण अभियान, अस्पताल, स्वास्थ्य सेवा व कोविड केंद्र हैं जहां बिजली की निर्बाध आपूर्ति बेहद जरूरी है।
जैन ने संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली को जिन संयंत्रों से बिजली की आपूर्ति हो रही है वहां कोयले का भंडार 30 दिन की बजाय घटकर एक दिन का हो गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को उत्पादन संयंत्रों में कोयले और गैस की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
जैन ने कहा, ''संकट को बड़ा बनाने के लिए आजकल राजनीति की जा रही है। ऐसा लगता है कि यह उसी तरह का मानव निर्मित संकट है जैसा चिकित्सकीय ऑक्सीजन की कमी के दौरान हुआ था।''
मंत्री ने कहा, ''यह देश कोयला उत्पादन करता है। बिजली संयंत्रों की स्थापित क्षमता मांग से साढ़े तीन गुना अधिक है और इसके बावजूद बिजली उत्पादन ठप है। इसलिए ऐसा लगता है कि यह मानव निर्मित है।''
जैन ने कहा कि दिल्ली को बिजली खरीद समझौतों की 50 प्रतिशत बिजली दी जा रही है और भंडारण करने की जरूरत है।
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