दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से दिल्ली दंगे की आरोपी गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर मांगा जवाब
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 11, 2022 02:33 PM2022-05-11T14:33:51+5:302022-05-11T14:43:30+5:30
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने दिल्ली दंगे के मामले में लोअर कोर्ट द्वारा फातिमा की जमानत याचिका खारिज होने पर दाखिल की गई जमानत याचिका की सुनवाई करने हुए दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है।
दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने देश की राजधानी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों के मामले में छात्रा और एक्टिविस्ट गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर बुधवार को पुलिस से जवाब मांगा।
मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने लोअर कोर्ट द्वारा फातिमा की जमानत याचिका खारिज होने पर दाखिल की गई याचिका की सुनवाई करने हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है।
दोनों जजों की बेंच ने इस मामले में सुवनाई के लिए 14 जुलाई को अगली तारीख देते हुए कहा, "हमें फातिमा पर लगाए गए आरोपों को एक्जामिन करना होगा।"
वहीं फातिमा की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि पीड़िता बीते दो साल से जेल में बंद है, जबकि उसका कोई वाजिब कारण सामने नहीं है। इसलिए पीड़िता अपने जमानत के लिए हाईकोर्ट से गुहार कर रही है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक दिल्ली दंगे की आरोपी फातिमा ने हाईकोर्ट से पहले लोअल कोर्ट में बेल के लिए अप्लाई किया था लेकिन निचली अदालत 16 मार्च को उसकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था और साथ ही लोअर कोर्ट ने फातिमा के अलावा एक और सह अभियुक्त तसलीम अहमद की जमानत अर्जी को भी खारिज कर दिया था।
दिल्ली दंगे के मामले में दिल्ली पुलिस ने फातिमा और अहमद सहित कई अन्य आरोपियों पर कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक फरवरी 2020 में हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे।
दिल्ली में यह दंगे केंद्र के नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनसीआर) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़के थे।
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एक्टिविस्ट खालिद सैफी, उमर खालिद, जेएनयू की छात्र नताशा नरवाल और देवांगना कलिता समेत जामिया मिल्लिया की सफूरा जरगर और 'आप' के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन सहित कई अन्य पर यूएपीए के तहत केस दर्ज किया था।
मालूम हो कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल जून में दंगे के आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा, नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को जमानत दे दी थी। कोर्ट ने इन्हें जमानत देते हुए कहा था, "असहमति को दबाने की चिंता में राज्य ने विरोध करने के अधिकार और आतंकवादी के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है और यदि इस तरह की मानसिकता को बल मिलता है तो यह 'लोकतंत्र के लिए दुखद दिन' होगा।" (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)