नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को पटियाला हाउस कोर्ट के एक आदेश को खारिज करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा अपने सरकारी बंगले में रह सकते हैं और उन्हें इसे खाली नहीं करना होगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल आदेश को चुनौती देने वाली राघव चड्ढा की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसने राज्यसभा सचिवालय के लिए उन्हें सरकारी बंगले से बेदखल करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
निचली अदालत ने आदेश में कहा था कि चड्ढा यह दावा नहीं कर सकते कि उन्हें आवंटन रद्द होने के बाद भी राज्यसभा सांसद के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान सरकारी बंगला रखने का अधिकार है। निचली अदालत ने 18 अप्रैल को पारित एक अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की थी, जिसमें राज्यसभा सचिवालय को चड्ढा से सरकारी बंगला खाली नहीं कराने का निर्देश दिया गया था।
निचली अदालत ने कहा था कि चड्ढा को उचित कानूनी प्रक्रिया के बिना अंतरिम राहत दी गई थी। चड्ढा को पिछले साल छह जुलाई को पंडारा पार्क में 'टाइप 6' बंगला आवंटित किया गया था लेकिन उन्होंने 29 अगस्त को राज्यसभा के सभापति को ज्ञापन सौंपकर 'टाइप 7' बंगला आवंटित करने का अनुरोध किया था। इसके बाद उन्हें पंडारा रोड पर एक अन्य बंगला आवंटित कर दिया गया।
हालांकि, इस साल मार्च में आवंटन रद्द कर दिया गया। अप्रैल 2022 में राज्यसभा सदस्यों के लिए जारी 'हैंडबुक' के अनुसार पहली बार के सांसद होने के नाते चड्ढा को सामान्य तौर पर 'टाइप-5' का बंगला आवंटित किया जा सकता है। इसके अनुसार, केंद्रीय मंत्री रह चुके सांसदों, पूर्व राज्यपालों या पूर्व मुख्यमंत्रियों और पूर्व लोकसभा अध्यक्षों को 'टाइप-7' बंगलों में रहने का अधिकार है।
(भाषा इनपुट के साथ)