पति के आचरण के कारण पत्नी उसके साथ रहने में सक्षम नहीं, पत्नी और नाबालिग बच्चों को गुजारा-भत्ते से देने से इनकार नहीं कर सकते, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

By भाषा | Published: September 28, 2022 03:06 PM2022-09-28T15:06:20+5:302022-09-28T15:07:45+5:30

अदालत ने कहा कि न्यायाधीशों को निश्चित परिस्थितियों में पत्नियों के भरण-पोषण से संबंधित दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के पीछे के उद्देश्य को भी ध्यान में रखना चाहिए।

Delhi High Court said Wife not able live him because husband conduct, cannot refuse to pay maintenance to wife and minor children | पति के आचरण के कारण पत्नी उसके साथ रहने में सक्षम नहीं, पत्नी और नाबालिग बच्चों को गुजारा-भत्ते से देने से इनकार नहीं कर सकते, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी निचली अदालत के एक आदेश के खिलाफ एक महिला की याचिका पर की।

Highlightsभरण-पोषण से संबंधित हर मामले से एक ही तरीके से नहीं निपटा जाना चाहिए।अदालतों को ‘संवेदनशील और सतर्क’ होना चाहिए।उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी निचली अदालत के एक आदेश के खिलाफ एक महिला की याचिका पर की।

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि पति ने ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी हैं कि पत्नी उसके साथ रह ही नहीं सकती तो पत्नी को अपने पति के साथ वैवाहिक संबंध बहाल करने संबंधी न्यायिक आदेश उसे (पत्नी को) आपराधिक कानून के तहत भरण-पोषण का दावा करने से वंचित नहीं करता।

अदालत ने कहा कि न्यायाधीशों को निश्चित परिस्थितियों में पत्नियों के भरण-पोषण से संबंधित दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के पीछे के उद्देश्य को भी ध्यान में रखना चाहिए। अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि भरण-पोषण से संबंधित हर मामले से एक ही तरीके से नहीं निपटा जाना चाहिए, साथ ही संबंधित अदालतों को ‘संवेदनशील और सतर्क’ होना चाहिए।

उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी निचली अदालत के एक आदेश के खिलाफ एक महिला की याचिका पर की। निचली अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा-भत्ते का दावा करने की हकदार नहीं है, क्योंकि उसके खिलाफ वैवाहिक अधिकारों की बहाली का एक पक्षीय आदेश दिया गया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि इस फैसले में निचली अदालत का तर्क ‘त्रुटिपूर्ण’ था। उन्होंने कहा कि दाम्पत्य अधिकारों की बहाली के लिए एक पक्षीय आदेश के मद्देनजर आपराधिक कानून के तहत गुजारा भत्ता देने पर विचार करने के लिए कोई पूर्ण रोक नहीं है।

यदि संबंधित अदालत इस बात को लेकर संतुष्ट है कि ऐसी परिस्थितियां मौजूद हैं कि पत्नी के पास पति से दूर रहने का उचित आधार है, तो गुजारा भत्ता दिया जा सकता है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यदि रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य से पता चलता है कि पति के आचरण के कारण पत्नी उसके साथ रहने में सक्षम नहीं है और पति ने पत्नी और नाबालिग बच्चों की परवरिश से इनकार कर दिया है, तो पत्नी को गुजारा-भत्ते से इनकार नहीं किया जा सकता।’’

Web Title: Delhi High Court said Wife not able live him because husband conduct, cannot refuse to pay maintenance to wife and minor children

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