दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप नेता संजय सिंह की याचिका खारिज की, हिरासत या गिरफ्तारी के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 20, 2023 09:38 PM2023-10-20T21:38:31+5:302023-10-20T21:40:06+5:30

न्यायाधीश ने कहा कि जब जांच शुरुआती चरण में है, इस अदालत को हिरासत या गिरफ्तारी के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला है। अदालत ने कहा कि वह अग्रणी जांच एजेंसी पर राजनीतिक मकसद से काम करने का आक्षेप नहीं लगा सकती है।

Delhi High Court rejects AAP leader Sanjay Singh's petition Refusal to interfere with arrest order | दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप नेता संजय सिंह की याचिका खारिज की, हिरासत या गिरफ्तारी के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार

आप नेता संजय सिंह

Highlightsआप नेता संजय सिंह को अदालत से झटकादिल्ली उच्च न्यायालय ने राहत देने से इंकार कियाहिरासत या गिरफ्तारी के आदेश में हस्तक्षेप करने से मना किया

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह की गिरफ्तारी के साथ-साथ अब रद्द की जा चुकी आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत को लेकर हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर सामग्री की गैरमौजूदगी में वह इसके लिए अग्रणी जांच एजेंसी पर राजनीतिक मकसद से काम करने का आक्षेप नहीं लगा सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि सिंह का मामला ‘प्रथमदृष्टया बिना किसी सबूत का मामला’ नहीं है।

न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने मामले में गिरफ्तारी के साथ-साथ ईडी की हिरासत में भेजे जाने को चुनौती देने वाली सिंह की याचिका खारिज करते हुए कहा कि प्रमुख जांच एजेंसी की साख का देश में निष्पक्ष शासन होने की प्रतिष्ठा से सीधा संबंध है। न्यायाधीश ने कहा, "यह अदालत इस चरण में रिकॉर्ड पर किसी भी सामग्री के अभाव में जांच एजेंसी पर कोई राजनीतिक मकसद का आक्षेप नहीं लगाएगी और इसे प्रथमदृष्टया कोई सबूत नहीं होने का मामला नहीं मानेगी।"

न्यायाधीश ने कहा कि जब जांच शुरुआती चरण में है, इस अदालत को हिरासत या गिरफ्तारी के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला है। अदालत ने कहा कि कोई मामला राजनीति से प्रेरित है या नहीं, इसमें अनिवार्य रूप से यह तय करना शामिल है कि क्या कोई जांच एजेंसी किसी राजनीतिक दल के नियंत्रण में है, और वह रिकॉर्ड पर किसी भी सामग्री के बिना इसका फैसला नहीं कर सकती है।

न्यायाधीश ने कहा, "यह अदालत तब तक इस बहस या निर्णय का हिस्सा नहीं बन सकती है और न ही बनेगी जब तक कि संबंधित मामले को सामग्री के साथ उसके समक्ष निर्णय के लिए नहीं भेजा जाता है। बेहतर होगा कि इस देश की अदालतें इस तरह के प्रभाव से अछूती रहें और बिना किसी पूर्वाग्रह के निष्पक्ष और समानता की शपथ से बंधी हों।" सिंह को ईडी ने चार अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। उन्होंने 2021-22 के लिए दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से संबंधित धन शोधन मामले में अपनी गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती देते हुए पिछले हफ्ते उच्च न्यायालय का रुख किया था। सिंह ने दलील दी कि उनकी गिरफ्तारी "अवैध, दुर्भावनापूर्ण और सत्ता के दुरुपयोग" का मामला है, इसलिए उन्हें रिहा किया जाना चाहिए।

आदेश सुनाते समय न्यायमूर्ति शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि कानून सार्वजनिक हस्ती और किसी अन्य व्यक्ति के लिए समान है तथा किसी जांच को शुरुआती चरण में केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता है कि आरोपी सार्वजनिक शख्सियत है या आपराधिक कार्यवाही के लंबित होने से उसके राजनीतिक भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, अदालत ने कहा कि अगर जांच अराजक तरीके से की जाती है तो वह संरक्षण का संवैधानिक कवच प्रदान करेगी। अदालत ने सिंह की इस दलील को खारिज कर दिया कि गवाह ने किसी दबाव में बयान दिया।

न्यायाधीश ने कहा कि यह बयान दबाव में दिया गया या नहीं, इस चरण में इस पर विचार नहीं किया जा सकता है। न्यायाधीश ने कहा कि इस चरण में यह संकेत देने के लिए ऐसा कुछ भी नहीं है कि कानून एजेंसी ने पूर्व-निर्धारित लक्ष्य हासिल करने के लिए अराजक तरीकों का इस्तेमाल किया और गवाह से बयान दिलवाया है। अदालत ने कहा कि जब राजनीतिक वित्तपोषण के संभावित लाभ के साथ धन शोधन के आरोप लगते हैं, तो इन दावों की सत्यता का पता लगाना सरकार का दायित्व है। अदालत ने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति को प्रतिष्ठा और गरिमा का अधिकार है, लेकिन यह किसी भी अपराध की जांच करने के राज्य के अधिकार के रास्ते में नहीं आ सकता है, भले ही वह किसी सार्वजनिक शख्सियत के खिलाफ ही क्यों न हो।

न्यायाधीश ने कहा कि यह अदालत केवल समानता की दृष्टि से पक्षकारों को देखने बैठी है। उन्होंने कहा कि एक अदालत द्वारा आपराधिक मामले में फैसला आपराधिक न्यायशास्त्र के जरिये दिया जाना चाहिए और इसमें कोई राजनीतिक या अराजनीतिक मामले या व्यक्ति नहीं होते हैं। न्यायाधीश ने कहा कि अदालत कानून और न्यायिक मिसालों के नजरिये से किसी मामले का परीक्षण करती है और राजनीतिक संबद्धता से प्रभावित नहीं होती है।

(इनपुट-भाषा)

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