दिल्ली हाईकोर्ट की जज ने कहा, "महिलाएं ज्यादा भावुक होती हैं, उन्हें माफी नहीं मांगनी चाहिए"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 16, 2022 10:00 PM2022-09-16T22:00:51+5:302022-09-16T22:04:41+5:30

दिल्ली हाईकोर्ट से रिटायर होने वाली जस्टिस आशा मेनन ने अपने विदाई समारोह में कहा कि कई बार महिलाएं स्थिति से अभिभूत हो जाते हैं, जो अधिक भावनात्मक होती है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि उन्हें अपने भावनात्मक कार्य के लिए क्षमाप्रार्थी होना चाहिए।

Delhi High Court Judge Said "Women Are More Emotional, They Shouldn't Apologize" | दिल्ली हाईकोर्ट की जज ने कहा, "महिलाएं ज्यादा भावुक होती हैं, उन्हें माफी नहीं मांगनी चाहिए"

फाइल फोटो

Highlightsदिल्ली हाईकोर्ट की जज ने कहा महिलाएं स्थिति से अभिभूत होकर शायद अधिक भावुक हो जाती हैं जस्टिस आशा मेनन ने दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से आयोजित विदाई समारोह में यह बात कही62 वर्ष की उम्र में रिटायर होने वाली जस्टिस आशा मेनन ने कहा कि महिलाएं स्टील की तरह मजबूत होती हैं

दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायिक सेवा से विदाई ले रही जस्टिस आशा मेनन ने अपने विदाई समारोह में महिलाओं के व्यवहार की व्याख्या करते हुए कहा कि कई बार महिलाएं किसी स्थिति से अभिभूत होकर और शायद अधिक भावुक हो जाती हैं, लेकिन उन्हें अपने इस कार्य पर अफसोस नहीं जाहिर करना चाहिए और न ही माफी नहीं मांगनी चाहिए।

जस्टिस मेनन ने शुक्रवार को कहा कहा कि कई बार महिलाएं स्थिति से अभिभूत हो जाते हैं, जो अधिक भावनात्मक होती है और जिन्हें संभालना बहुत मुश्किल होता है। संभवत: इसका कारण है कि एक महिला के रूप में हम अधिक भावुक हो सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि अपने भावनात्मक कार्य के हम समय क्षमाप्रार्थी होना चाहिए क्योंकि हम भावनात्मक आवेग की स्टील से बनी हैं। इसलिए मैं हमेशा सभी मजबूत महिलाओं को सलाम करती हूं।"

जस्टिस मेनन ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट से विदाई लेते हुए उस संबंध में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि वर्षों पुरानी अपने साथ हुई एक घटना का हवाला देते हुए कहा कि जब वो दिल्ली की तीस हजारी अदालत में बतौर जज पदस्थापित थीं। उस समय अपने बेटे की देखभाल के लिए तीस हजारी अदालत से अपने घर के पास दूसरी अदालत में ट्रांसफर लेना चाहती थीं क्योंकि उनके एक साल के बेटे को कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं।

शनिवार को 62 वर्ष की रिटायरमेंट की आयु को छूने वाली जस्टिस आशा मेनन ने कहा एक दिन वह अपने बेटे को डॉक्टर के पास ले जाने के कारण अदालत में एक घंटे की देरी से पहुंची थीं।

जिसकी वजह से एक युवा वकील को कुछ गलतफहमी हुई और उसने बार एसोसिएशन में इस मसले को उठाया। उस युवा वकील के साथ अन्य वकील उनकी कोर्ट रूम में जमा हो गए। एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि अगर आप काम नहीं कर सकती हैं, तो घर में बैठें।

जस्टिस मेनन ने कहा, "उस घटना के बाद मैंने संकल्प लिया कि मैं वहीं रहूंगी और वे भी रहेंगे। देखते हैं कि कौन काम करना जानता है और काम करना नहीं जानता है।" उसके बाद मामले को उठाने वाले उस युवा वकील को शर्मिंदगी हुई और उसने मुझसे माफी मांगी।

दिल्ली हाईकोर्ट से न्यायिक सेवा से रिटायर होने वाली जस्टिस मेनन का जन्म 17 सितंबर, 1960 को केरल में हुआ था और वह नवंबर 1986 में दिल्ली न्यायिक सेवा में शामिल हुईं थीं। लंबी न्यायिक सेवा के बाद उन्हें 27 मई 2019 को दिल्ली हाईकोर्ट में स्थायी जज बनाया गया था। जहां से बीते शुक्रवार को रिटायर हो गईं। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

Web Title: Delhi High Court Judge Said "Women Are More Emotional, They Shouldn't Apologize"

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