INX मीडिया घोटाला: हाईकोर्ट ने कहा- पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम मामले में प्रमुख साजिशकर्ता हैं, सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई से किया इनकार
By भाषा | Published: August 20, 2019 05:26 PM2019-08-20T17:26:31+5:302019-08-20T17:26:31+5:30
न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने चिदंबरम को राहत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति गौड़ ने कहा, ‘‘दोनों याचिकाएं (सीबीआई और ईडी मामले में) खारिज की जाती हैं।’’ दिल्ली उच्च न्यायालय ने पी. चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय से संपर्क करने के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से इनकार किया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आईएनएक्स मीडिया घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन मामलों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने चिदंबरम को राहत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति गौड़ ने कहा, ‘‘दोनों याचिकाएं (सीबीआई और ईडी मामले में) खारिज की जाती हैं।’’ दिल्ली उच्च न्यायालय ने पी. चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय से संपर्क करने के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से इनकार किया।
उच्च न्यायालय का प्रथम दृष्टया मत है कि मामले में प्रभावी जांच के लिए चिदंबरम से हिरासत में पूछताछ करने की जरूरत है। उच्च न्यायालय ने चिदंबरम के मामले में कहा कि यह धनशोधन का एक अनूठा मामला है और इस तरह के मामले में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा।
सिब्बल वकीलों की टीम के साथ आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील का उल्लेख करने की संभावना तलाश रहे हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि तथ्यों से खुलासा होता है कि चिदंबरम मामले में प्रमुख साजिशकर्ता हैं। अदालत द्वारा आदेश सुनाए जाने के बाद बाद चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील डी कृष्णन ने आदेश के प्रभावी होने पर तीन दिनों की रोक लगाने का अनुरोध किया।
Delhi High Court dismisses both anticipatory bail pleas of Former Union Finance Minister P Chidambaram in connection with INX Media case. pic.twitter.com/Gbt4Py4y8m
— ANI (@ANI) August 20, 2019
इस पर अदालत ने कहा कि वह अनुरोध पर विचार करेगी और उस पर आदेश पारित करेगी। सुनवाई के दौरान, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों ने इस आधार पर चिदंबरम की याचिका का विरोध किया कि उनसे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है क्योंकि पूछताछ के दौरान उन्होंने स्पष्ट जवाब नहीं दिया था।
दोनों जांच एजेंसियों ने तर्क दिया था कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान, 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी कोष प्राप्त करने के लिए एक मीडिया समूह को एफआईपीबी मंजूरी दी गई थी। ईडी ने तर्क दिया कि जिन कंपनियों में धन अंतरित किए गए, वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चिदंबरम के पुत्र कार्ति द्वारा नियंत्रित हैं तथा यह विश्वास करने का कारण है कि उनके बेटे के हस्तक्षेप पर आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी मंजूरी दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने 25 जुलाई, 2018 को दोनों मामलों में चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की थी और इसे समय-समय पर बढ़ाया गया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की भूमिका 3,500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस सौदे और आईएनएक्स मीडिया मामले को लेकर विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच के घेरे में थी।
संप्रग-1 सरकार में वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से दो उपक्रमों को मंजूरी दी गई थी। सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए मीडिया समूह को दी गयी एफआईपीबी मंजूरी में अनियमितताएं हुयी थीं। इसके बाद ईडी ने 2018 में इस संबंध में धनशोधन का मामला दर्ज किया था।
चिदंबरम की याचिका में कहा गया था कि यद्यपि इस मामले में ईडी की ओर से उन्हें कभी कोई समन नहीं जारी किया गया है लेकिन उन्हें आशंका है कि सीबीआई द्वारा उन्हें जारी समन के मद्देनजर उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है।