यूनिफॉर्म सिविल कोड को दिल्ली हाई कोर्ट ने बताया अब देश की जरूरत, कहा- केंद्र जरूरी कदम उठाए

By विनीत कुमार | Updated: July 9, 2021 16:08 IST2021-07-09T15:30:38+5:302021-07-09T16:08:22+5:30

दिल्ली हाई कोर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने की जरूरत बताया है। कोर्ट ने कहा है अब इस दिशा में आगे बढ़ने का सही समय आ गया है।

Delhi high court backed Uniform Civil Code asked Centre to take necessary steps | यूनिफॉर्म सिविल कोड को दिल्ली हाई कोर्ट ने बताया अब देश की जरूरत, कहा- केंद्र जरूरी कदम उठाए

देश में समान नागरिक संहिता की जरूरत: दिल्ली हाई कोर्ट

Highlightsदिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र को समान नागरिक संहिता के संबंध में कदम उठाने को कहा हैकोर्ट ने कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड को अब अब हकीकत में बदलने का समय आ गया हैतलाक के मामले में फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने समान नागरिक संहिता को लेकर की ये अहम टिप्पणी

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने इसकी जरूरत बताते हुए केंद्र को इस संबंध में जरूरी कदम उठाने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि आधुनिक भारतीय समाज धर्म के तमाम पारंपरिक अवरोधों, जाति और समुदाय आदि के बावजूद 'सजातीय' हो रहा है। ऐसे में इस बदलते समय में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने तलाक के एक मामले में फैसला सुनाते हुए यह अहम टिपणी की। इस मामले में दोनों पक्ष मीना समाज से थे। ऐसे में कोर्ट के सामने दुविधा थी कि तलाक पर फैसला हिन्दू मैरिज एक्ट के मुताबिक दिया जाए या फिर मीना जनजाति के नियम के अनुसार।

ये मामला पहले निचली अदालत में पहुंचा था। निचली अदालत ने पति की ओर से दायर तलाक की याचिका को खारिज कर दिया था क्योंकि इन पर हिंदू मैरिज एक्ट लागू नहीं होता। पति ने इसी के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसने अपील को स्वीकार करते हुए सुनवाई की।

कोर्ट ने अनुच्छेद 44 और यूनिफॉर्म सिविल कोड पर क्या कहा

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा, 'भारत के युवा विभिन्न समाज, जातियों और जनजातियों या धर्म से आते हैं और विवाह करते हैं। उन्हें अलग-अलग पर्सनल लॉ के कारण अपने मुद्दों से संघर्ष करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए, खासकर शादी या तलाक के मामलों में।' 

जस्टिस सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का भी जिक्र किया और कहा कि केंद्र को इस पूरे मामले में एक्शन लेना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 44 में जिस यूनिफॉर्म सिविल कोड की उम्मीद जताई गई है, उसे अब हकीकत में बदलना चाहिए। 

कोर्ट ने कहा, 'ऐसा सिविल कोड विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के मामलों में समान सिद्धांतों को लागू करने में सक्षम होगा। साथ ही इससे समाज के भीतर विभिन्न पर्सनल लॉ से उत्पन्न होने वाले संघर्षों और अंतर्विरोधों को कम करने में मदद मिलेगी।'

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड

यूनिफॉर्म सिविल कोड दरअसल देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने, विरासत और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को लेकर है। इसके तहत देश में कोई व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो, उस पर एक कानून लागू होगा। 

मौजूदा स्थिति में विभिन्न धर्म, जाति-जनजाति आदि के लिए कई अलग-अलग कानून हैं। उदाहरण के तौर पर हिंदू मैरिज एक्ट, इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट, इंडियन डिवोर्स एक्ट, पारसी मैरिस एक्ट आदि कानून देश में मौजूद हैं। 

Web Title: Delhi high court backed Uniform Civil Code asked Centre to take necessary steps

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