हाईकोर्ट ने आलोक वर्मा और एके शर्मा को दी अनुमति, करेंगे राकेश अस्थाना की फाइल का सीवीसी दफ्तर में निरीक्षण
By भाषा | Updated: November 28, 2018 19:39 IST2018-11-28T19:39:21+5:302018-11-28T19:39:21+5:30
अदालत ने सीवीसी कार्यालय में गुरूवार की शाम साढ़े चार बजे मामले की फाइल का निरीक्षण करने की अनुमति दी जहां निरीक्षण के समय सीबीआई के पुलिस अधीक्षक सतीश डागर मौजूद रहेंगे।

राकेश अस्थान बायें और आलोक वर्मा दायें- फाइल फोटो
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक ए के शर्मा को एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित मामले की फाइल का सीवीसी कार्यालय में निरीक्षण करने की बुधवार को अनुमति दी।
न्यायमूर्ति नाजमी वजीरी ने सीबीआई को अस्थाना के खिलाफ कार्यवाही के संबंध में यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश देने वाले अपने आदेश की अवधि सात दिसंबर तक बढ़ा दी।
अस्थाना ने रिश्वत मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की है। अदालत ने सीवीसी कार्यालय में गुरूवार की शाम साढ़े चार बजे मामले की फाइल का निरीक्षण करने की अनुमति दी जहां निरीक्षण के समय सीबीआई के पुलिस अधीक्षक सतीश डागर मौजूद रहेंगे।
वर्मा के खिलाफ जांच के लिए सतर्कता निकाय को निर्देश दिये जाने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद मामले से जुड़ी फाइलों और दस्तावेजों को जांच पड़ताल के लिए सीवीसी के पास भेजा गया था। शर्मा को भी फाइलों का निरीक्षण करने के लिए शुक्रवार को सीवीसी कार्यालय में जाने के लिए कहा गया है।
शर्मा की ओर से पेश वकील एम ए नियाजी ने कहा कि दस्तावेज निजी नहीं हैं और वे सीबीआई से भी जुड़े हुए हैं, लेकिन वह सिर्फ संवेदनशील सामग्री को इंगित करना चाहते हैं जिसे अदालत और एजेंसी द्वारा देखा जाना चाहिए। अदालत ने निर्देश दिये कि शर्मा द्वारा दिये गये दस्तावेजों को अगले आदेशों तक सीलबंद लिफाफे में रखा जाये।
Delhi High Court allowed CBI Director Alok Verma and Joint Director AK Sharma to inspect the case diary related to the FIR against the Central probe agency's Special Director Rakesh Asthana at the office of CVC
— ANI Digital (@ani_digital) November 28, 2018
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अस्थाना और सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं क्रमश: अमरेन्द्र शरण और दयान कृष्णन ने कहा कि शर्मा को सीबीआई को सामग्री देनी चाहिए और अदालत में उनके द्वारा दिये गये दस्तावेजों पर भरोसा किया जाता है तो उन्हें भी इनके निरीक्षण की अनुमति दी जानी चाहिए।
अदालत ने अस्थाना और कुमार की याचिकाओं पर वर्मा को अपना जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय भी दिया। अस्थाना और कुमार ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किये जाने का आग्रह किया है।
वर्मा की ओर से पेश वकील राहुल शर्मा ने कहा कि अस्थाना की याचिका में उनके खिलाफ बदनीयती से आरोप लगाए गए हैं। सीबीआई के वकील राजदीप बेहुरा ने कहा कि मामले की फाइल एजेंसी के पास नहीं है और वे सीवीसी के पास है।
अस्थाना के वकील ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों पर वर्मा के खिलाफ जांच के निष्कर्षों को उच्चतम न्यायालय ने सीलबंद लिफाफे में सीबीआई प्रमुख को दिया था। इस पर वर्मा के वकील ने कहा कि उन्हें पूरे मामले की फाइल नहीं दी गई थी।
अदालत अस्थाना, कुमार और बिचौलिये मनोज प्रसाद की अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। इन लोगों ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किये जाने का आग्रह किया है।
उच्च न्यायालय ने 23 अक्टूबर को सीबीआई को अस्थाना के खिलाफ कार्यवाही के संबंध में यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिये थे। न्यायालय ने अपने इस आदेश की अवधि को 29 अक्टूबर को एक नवम्बर तक के लिए बढ़ा दिया था।
एक नवम्बर को अंतरिम आदेश को 14 नवम्बर तक बढ़ाया गया और इसके बाद इसे 28 नवम्बर तक के लिए बढ़ाया गया था। 23 अक्टूबर के आदेश में स्पष्ट किया गया था कि एजेंसी अस्थाना के खिलाफ कोई भी कड़ा कदम नहीं उठायेगी।
गत एक नवम्बर को सीबीआई और अस्थाना दोनों ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एस एस गुर्म की याचिका का विरोध किया था। वर्मा और अस्थाना के बीच विवाद के मद्देनजर गुर्म का दिल्ली से जबलपुर स्थानांतरण किया गया था।
अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार की याचिकाओं के जवाब में सीबीआई ने कहा था कि उनके और अन्य के खिलाफ आरोप संज्ञेय अपराध दिखते है। कुमार इस समय जमानत पर बाहर है। सीबीआई ने अस्थाना और कुमार की याचिकाओं जारी नोटिस पर अपना जवाब दाखिल किया है।