कृषि विधेयकों और सांसदों के निलंबन का मामला, विपक्ष प्रतिनिधिमंडल की तरफ से राष्ट्रपति से मिले गुलाम नबी आजाद

By सतीश कुमार सिंह | Published: September 23, 2020 06:09 PM2020-09-23T18:09:24+5:302020-09-23T18:27:35+5:30

कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद आज शाम 5 बजे राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात की। संसद में 8 सांसदों की स्थिति पर राष्ट्रपति से मिले। कई मुद्दों पर बात की।

Delhi Ghulam Nabi Azad, Leader of Opposition Rajya Sabha called on President Kovind at Rashtrapati Bhavan | कृषि विधेयकों और सांसदों के निलंबन का मामला, विपक्ष प्रतिनिधिमंडल की तरफ से राष्ट्रपति से मिले गुलाम नबी आजाद

हंगामे के लिए विपक्ष ज़िम्मेदार नहीं है, हंगामे के लिए सरकार ज़िम्मेदार है। (photo-ani)

Highlights कांग्रेस नेता गुलाब नबी आजाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले। मामले की जानकारी दी।राष्ट्रपति जी के सामने ये बात लाई जाए कि किस तरह से राज्यसभा में किसानों से संबंधित बिल पास किया गया। इस बिल को सरकार को राजनीतिक दलों से, किसान नेताओं से बात करके लाना चाहिए था।

नई दिल्लीः विपक्षी सांसदों ने हाल ही में पारित कृषि विधेयकों के खिलाफ संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता गुलाब नबी आजाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले। मामले की जानकारी दी।

कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद आज शाम 5 बजे राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात की। संसद में 8 सांसदों की स्थिति पर राष्ट्रपति से मिले। कई मुद्दों पर बात की। सरकार को कृषि संबंधी विधेयक लाने से पहले सभी दलों, किसान नेताओं के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए था।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि लगभग 18 राजनीतिक दलों के नेताओं ने इकट्ठा होकर निर्णय लिया था कि माननीय राष्ट्रपति जी के सामने ये बात लाई जाए कि किस तरह से राज्यसभा में किसानों से संबंधित बिल पास किया गया। इस बिल को सरकार को राजनीतिक दलों से, किसान नेताओं से बात करके लाना चाहिए था।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात के बाद कहा कि संसद में कृषि संबंधी विधेयकों को ‘असंवैधानिक’ तरीके से पारित किया गया है इसलिए राष्ट्रपति को इन विधेयकों को संतुति नहीं देकर इनको वापस भेजना चाहिए। उन्होंने यह दावा भी किया कि रविवार को राज्यसभा में हंगामे के लिए विपक्ष नहीं बल्कि सरकार जिम्मेदार है।

ऐसा कानून लाना चाहिए था जिससे किसान खुश होते

ऐसा कानून लाना चाहिए था जिससे किसान खुश होते, लेकिन दुर्भाग्य से सरकार ने न इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी को भेजा, न ही सेलेक्ट कमेटी को भेजा... हंगामे के लिए विपक्ष ज़िम्मेदार नहीं है, हंगामे के लिए सरकार ज़िम्मेदार है।

विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘‘राष्ट्रपति ने हमें मिलने का समय दिया है और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद उनसे शाम पांच बजे मुलाकात की।’’ विपक्ष की करीब 18 पार्टियों ने इन मुद्दों को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है।

आजाद ने कई विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से कहा, ‘‘सोमवार को करीब 18 दलों के नेताओं ने सहमति जताई थी कि राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें इससे अवगत कराया जाए कि किस तरह तरह से राज्यसभा में किसानों से संबंधित विधेयक पारित कराया गया।’’ उनके मुताबिक, किसानों से संबंधित विधेयकों को सब लोगों से बातचीत करने के बाद लाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों और किसानों के नेताओं से बातचीत करके ऐसा कानून लाना चाहिए था। ऐसा करने से किसान खुश होता।

उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से सरकार ने इन विधेयकों को स्थायी समिति और प्रवर समिति के पास नहीं भेजा। अगर भेजा होता तो बेहतर होता।’’ आजाद ने दावा किया, ‘‘सदन में हंगामे के लिए विपक्ष जिम्मेदार नहीं है। सरकार जिम्मेदार है। किसी तरह का मतदान नहीं हुआ।

संविधान, नियम और कानूनों की धज्जियां उड़ाई गईं।’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि ये विधेयक सलीके से पारित नहीं हुआ है, यह असंवैधानिक है। इस विधेयक को वापस भेज दें ताकि इस पर दोबारा चर्चा हो और मतदान हो। मैंने यह भी कहा कि वह इन विधेयकों को संतुति नहीं दें।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘राष्ट्रपति जी ने कहा कि वह हमारी ओर से रखी गई बातों पर गौर करेंगे।’’ इससे पहले विपक्ष की कई विपक्षी पार्टियों ने इन मुद्दों को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा था।

इससे पहले फैसला हुआ था कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर सदन में सदस्यों की संख्या के आधार पर पांच प्रमुख विपक्षी दलों ... कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति और द्रमुक के पांच प्रतिनिधि राष्ट्रपति के साथ मुलाकात के लिए जाएंगे।

बहरहाल, तृणमूल कांग्रेस ने आग्रह किया कि उसकी जगह किसी छोटी पार्टी के प्रतिनिधि को भेजा जाए क्योंकि कृषि विधेयकों के खिलाफ लड़ाई मिलकर लड़ी गई है और यह प्रयास सदन में संख्या के आधार पर निर्भर नहीं करता है।

इसके बाद निर्णय लिया गया कि शिवसेना अथवा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का एक प्रतिनिधि भी विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होगा। सूत्रों का कहना है कि विपक्षी दलों की बुधवार को हुई बैठक में फैसला किया गया कि सिर्फ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ही राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे।

सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दल इस बात पर एकमत थे कि वे इस मुलाकात से किसी पार्टी को अलग नहीं रखना चाहते, लेकिन कोरोना संकट से जुड़े प्रोटोकॉल का पालन जरूरी है। राज्यसभा के विपक्षी सांसद कृषि विधेयकों और आठ सांसदों के निलंबन के खिलाफ आज दोपहर को प्रदर्शन की तैयारी में हैं, जबकि लोकसभा में विपक्षी नेता दिन में दो बजे बैठक कर धरने के बारे में फैसला करेंगे। 

विपक्षी दलों ने कृषि विधेयकों को लेकर संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया 

कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने हाल ही में पारित कृषि संबंधी विधेयकों को लेकर बुधवार को संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। विपक्षी दलों के कई राज्यसभा सदस्यों ने दोपहर के समय संसद परिसर में मौन प्रदर्शन किया तो शाम के समय विपक्ष के कई लोकसभा सदस्यों ने प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन कर रहे सांसद अपने हाथों में तख्तियां लिये हुए थे जिन पर ‘किसानों को बचाओ, मजदूरों को बचाओ, लोकतंत्र को बचाओ’ जैसे नारे लिखे थे।

विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्यसभा के विपक्षी सांसदों ने संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिभा से भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा तक मार्च निकाला। वे कुछ देर महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने कतारबद्ध होकर खड़े हुए। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा, द्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ कांग्रेस और समान विचार वाले दलों के सभी सांसदों ने किसान विरोधी और मजदूर विरोधी विधेयकों के खिलाफ गांधी प्रतिमा से अंबेडकर प्रतिमा तक विरोध प्रदर्शन किया जिन्हें मोदी सरकार ने अलोकतांत्रिक ढंग से संसद में पारित कराया।’’

लोकसभा की कार्यवाही शाम छह बजे आरंभ होने से पहले कांग्रेस, द्रमुक और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया और कृषि विधेयकों को वापस लेने की मांग करते हुए सरकार के विरोध में नारेबाजी भी की।

इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई और शशि थरूर, द्रमुक के टीआर बालू एवं कनिमोई और कई अन्य दलों के सांसदों ने हिस्सा लिया। विभिन्न विपक्षी दल कृषि संबंधी विधेयकों के संसद में पारित किये जाने का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने संसद की कार्यवाही का भी बहिष्कार किया है। उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर उनसे इन विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने का अनुरोध किया है।

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