Delhi Car Blast Case: 5 लाख में खरीदी गई AK-47, डीप फ्रीजर में रखे विस्फोटक, मल्टी-लेयर हैंडलर नेटवर्क का खुलासा
By अंजली चौहान | Updated: November 22, 2025 13:04 IST2025-11-22T12:54:42+5:302025-11-22T13:04:35+5:30
Delhi Car Blast Case: आधिकारिक सूत्रों ने एएनआई को बताया कि 10 नवंबर को दिल्ली में हुए आत्मघाती कार विस्फोट की जांच कर रही खुफिया एजेंसियों ने नए खुलासे किए हैं, जो एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क, संचालकों की एक संरचित श्रृंखला और कई समन्वित हमलों की तैयारी की ओर इशारा करते हैं।

Delhi Car Blast Case: 5 लाख में खरीदी गई AK-47, डीप फ्रीजर में रखे विस्फोटक, मल्टी-लेयर हैंडलर नेटवर्क का खुलासा
Delhi Car Blast Case: दिल्ली के लाल किला के पास ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियां मामले की तह तक जांच कर रही है। इस बीच, इंटेलिजेंस एजेंसियों ने नई जानकारी दी है, जिससे पता चला है कि यह एक बड़े ट्रांसनेशनल टेरर नेटवर्क, हैंडलर्स की एक बनी-बनाई चेन और कई कोऑर्डिनेटेड हमलों की तैयारी का हिस्सा था। ऑफिशियल सोर्स ने ANI को यह जानकारी दी। देश की राजधानी में लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट में कम से कम 15 लोग मारे गए और कई दूसरे घायल हो गए। एक्सप्लोसिव वाली कार चला रहे डॉ. उमर नबी ने यह हमला किया।
चार और मुख्य आरोपी, पुलवामा (जम्मू और कश्मीर) के डॉ. मुजम्मिल शकील गनई, अनंतनाग (जम्मू और कश्मीर) के डॉ. अदील अहमद राथर, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के डॉ. शाहीन सईद और शोपियां (जम्मू और कश्मीर) के मुफ्ती इरफान अहमद वागे को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने हिरासत में ले लिया है।
Delhi blast case: AK-47 bought for more than Rs 5 lakh, deep freezer used for explosives; multi-layer handler network exposed
— ANI Digital (@ani_digital) November 22, 2025
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इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक, फरीदाबाद में 2500 kg से ज़्यादा अमोनियम नाइट्रेट मिलने के बाद गिरफ्तार हुए आरोपी मुज़म्मिल ने 5 लाख रुपये से ज़्यादा में एक AK-47 राइफल खरीदी थी, जो बाद में अदील के लॉकर से मिली थी। यह हथियार खरीदना एक अहम कड़ी है। इंटेलिजेंस एजेंसी के एक सूत्र ने कहा कि यह मॉड्यूल के पीछे की तैयारी और फाइनेंसिंग के लेवल को दिखाता है।
जानकारी के मुताबिक मॉड्यूल का हर आरोपी एक अलग हैंडलर को रिपोर्ट कर रहा था। मुज़म्मिल का हैंडलर अलग था, जबकि ब्लास्ट का आरोपी उमर दूसरे को रिपोर्ट कर रहा था। दो खास हैंडलर, मंसूर और हाशिम, एक सीनियर हैंडलर के अंडर काम कर रहे थे, जिसके बारे में माना जाता है कि वह मॉड्यूल की पूरी एक्टिविटीज़ को सुपरवाइज़ कर रहा था। एक अधिकारी ने कहा कि ये हैंडलर लेयर्स में काम कर रहे थे।
इंटेलिजेंस सूत्रों ने कन्फर्म किया कि 2022 में, मुज़म्मिल, अदील और एक और आरोपी, मुज़फ़्फ़र अहमद, ओकासा नाम के एक व्यक्ति के कहने पर तुर्की गए थे, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से जुड़ा है।