कैडर बनाम कैडर: दिल्ली चुनाव के नतीजों से आप ने बीजेपी के लिए बजाई भविष्य में भी खतरे की घंटी!

By संतोष ठाकुर | Updated: February 12, 2020 08:59 IST2020-02-12T08:44:47+5:302020-02-12T08:59:06+5:30

दिल्ली चुनाव रिजल्ट: कैडर और वाम कैडर के बीच यह अंतर था कि वाम दलों वषार्ें की साधना करने वालों को लाभांश देना शुरू करते थे. जबकि आम आदमी पार्टी ने यह देखा कि उसे त्वरित आधार पर कहां और किस तरह से उनका कार्यकर्ता लाभ दे सकता है और पार्टी उसे इसके लिए क्या दे सकती है.

Delhi assembly elections results: manoj tiwari AAP may bad for BJP future too | कैडर बनाम कैडर: दिल्ली चुनाव के नतीजों से आप ने बीजेपी के लिए बजाई भविष्य में भी खतरे की घंटी!

आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के उलट दिल्ली में अपना एक स्थायी कैडर बनाते हुए उसे बड़ी चुनौती पेश की है

Highlightsभाजपा की तमाम मशक्कत और सितारों की फौज भी उसे मनचाही जीत नहीं दिला पाई. दिल्ली में इस समय करीब 7 से 8 हजार मार्शल तैनात हैं.

 दिल्ली में भाजपा की तमाम मशक्कत और सितारों की फौज भी उसे मनचाही जीत नहीं दिला पाई. लेकिन भाजपा के लिए केवल हार नहीं बल्कि उससे भी बड़ी चिंता यह है कि यहां पर कैडर बनाम कैडर में भी आम आदमी पार्टी (आप) ने उसे शिकस्त दी है. इसे पार्टी अपने लिए एक बड़ी चुनौती मान रही है.

इसकी वजह यह है कि इस चुनाव के बाद दिल्ली में नगर निगम के चुनाव होने हैं और उसके उपरांत लोकसभा चुनाव की भी तैयारी शुरू होनी है. भाजपा को अब तक उसकी कैडर शक्ति की वजह से हमेशा आगे माना जाता रहा है. लेकिन इस चुनाव में उसकी यह ताकत भी निरर्थक साबित होती दिखी है. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के उलट दिल्ली में अपना एक स्थायी कैडर बनाते हुए उसे बड़ी चुनौती पेश की है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जानते थे कि अगर उन्हें दीर्घकालिक राजनीति करनी है तो उन्हें भी अपना स्थायी कैडर बनाना होगा.

यही वजह है कि उन्होंने अपनी सरकार के पहले ढाई साल में इसकी रणनीति बनाई और उसके बाद वाम दलों की तरह अपना कैडर बनाना शुरू किया. हालांकि उनके कैडर और वाम कैडर के बीच यह अंतर था कि वाम दलों वषार्ें की साधना करने वालों को लाभांश देना शुरू करते थे. जबकि आम आदमी पार्टी ने यह देखा कि उसे त्वरित आधार पर कहां और किस तरह से उनका कार्यकर्ता लाभ दे सकता है और पार्टी उसे इसके लिए क्या दे सकती है.

इसे कैडर बनाने की पहल ही कहा जा रहा है कि एक ओर जहां महिलाओं व छात्राओं के बीच अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं के लिए डीटीसी बस में सफर फ्री किया और उनकी सुरक्षा के लिए मार्शल तैनात करने का ऐलान किया तो दूसरी ओर उन्होंने डीटीसी और कलस्टर बस में मार्शल की तैनाती की. इन्हें महिला सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है. यह आरोप लगते रहे हैं कि मार्शल के रूप में अधिकतर 'आप' कार्यकर्ताओं या उनके समर्थकों की नियुक्ति की गई. अगर इन मार्शल की बात करें तो दिल्ली में इस समय करीब 7 से 8 हजार मार्शल तैनात हैं.

उन्हें प्रतिदिन के लिहाज से पैसा दिया जाता है लेकिन उनकी सेवा लगातार बनी रहती है. इसी तरह से मोहल्ला क्लिनिक के मामले में भी केजरीवाल पर विरोधी दल से यह आरोप लगा कि उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के घरों को इन क्लिनिकों के लिए किराये पर लेकर उन्हें लाभ दिया. साथ ही इन क्लिनिक में अनुबंध पर 'आप' कार्यकर्ताओं को चपरासी या मल्टी टास्किंग स्टाफ के रूप में नियुक्त करने का भी आरोप लगा. लेकिन केजरीवाल ने कभी भी यह नहीं माना कि वह इस तरह से अपना एक नया कैडर वर्ग तैयार कर रहे हैं.

कैडर बनाने के इस क्र म में दिल्ली सरकार के स्कूलों में गेस्ट टीचर और अन्य संवर्ग के पदों पर भी अनुबंधित स्टाफ के रूप में 'आप' कार्यकर्ताअेां या समर्थकों को लेने के आरोप पार्टी पर लगते रहे हैं. कहा जाता है कि वाम दलों के कैडर नीति का अनुसरण करते हुए केजरीवाल सरकार ने अपने कार्यकर्ताओं को नौकरी, सरकारी अनुबंध देने का तरीका अपनाया और यही वजह है कि भाजपा के कैडर की तरह ही उनका भी एक कैडर वर्ग तैयार हो गया. इतना ही नहीं, फ्री बिजली-पानी के सहारे केजरीवाल ने एक अप्रत्यक्ष कैडर भी तैयार किया.

लाखों परिवार, चाहे वे किसी भी दल से जुड़े रहे हों, फ्री बिजली-पानी पर केजरीवाल से जुड़ गए. उनका आकलन था कि ऐसा करके वह हर महीने 3000 से 5000 रुपए बचा रहे हैं. अगर केजरीवाल सरकार चली जाती है तो उन्हें इस राशि का हर माह प्रत्यक्ष में नुकसान होगा. जिससे उनका घरेलू बजट भी प्रभावित होगा. हालांकि 'आप' या स्वयं केजरीवाल हमेशा इन आरोपों से इनकार करते रहे हैं.

उनका कहना है कि नियुक्ति या अनुबंध सरकारी नियमों से होता है. उसमें सरकार या उनकी पार्टी की कोई भूमिका नहीं है. अब आने वाले समय में यह देखना रोचक होगा कि भाजपा आने वाले समय में 'आप' के इस कैडर अभियान से कैसे पार पाती है. 

Web Title: Delhi assembly elections results: manoj tiwari AAP may bad for BJP future too

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