सेना को हल्के जोरावर टैंक मिलने में होगी देरी, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कलपुर्जों और उपकरणों की आपूर्ति में बाधा आ रही है

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 13, 2023 01:54 PM2023-08-13T13:54:00+5:302023-08-13T13:55:36+5:30

चीन से जारी तनाव के बीच भारतीय सेना के लिए ऐसे हल्के टैंकों की जरूरत महसूस की गई थी जो पहाड़ी इलाकों में आसानी से तैनात किए जा सकें। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ज़ोरावर लाइट टैंक को बनाने में लगने वाले कलपुर्जों और उपकरणों की आपूर्ति में बाधा आ रही है।

delay in getting the light Zorawar tank to the army due to the Russia-Ukraine war | सेना को हल्के जोरावर टैंक मिलने में होगी देरी, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कलपुर्जों और उपकरणों की आपूर्ति में बाधा आ रही है

जोरावर टैंक का वजन केवल 45 टन है

Highlightsरूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया हैज़ोरावर लाइट टैंक बनाने की भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी असरटैंक को बनाने में लगने वाले कलपुर्जों और उपकरणों की आपूर्ति में बाधा आ रही है

नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अब अपने 19वें महीने में है। इस जंग ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। लंबे समय से जारी इस युद्ध का असर भारत के भी कई अहम प्रोजेक्ट्स पर पड़ा है। इसमें सबसे अहम है सेना के लिए  ज़ोरावर लाइट टैंक बनाने की भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना। युद्ध के कारण इस टैंक को बनाने में देरी होती जा रही है। 

दरअसल चीन से जारी तनाव के बीच भारतीय सेना के लिए ऐसे हल्के टैंकों की जरूरत महसूस की गई थी जो पहाड़ी इलाकों में आसानी से तैनात किए जा सकें। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस टैंक को बनाने में लगने वाले कलपुर्जों और उपकरणों की आपूर्ति में बाधा आ रही है। 

सूत्रों ने कहा कि देरी कुछ देशों द्वारा टैंकों के निर्माण के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण घटकों की आपूर्ति करने में असमर्थता के कारण है। प्रोजेक्ट ज़ोरावर के लिए विदेशी आपूर्ति वाले "इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल घटक और इंजन" महत्वपूर्ण हैं। चीन के साथ उत्तरी सीमा पर लगातार खतरे के बीच जोरावर टैंक बनाने पर जोर दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि क्षेत्र-विशिष्ट परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हल्के टैंकों की आवश्यकता है।

दरअसल : चीन सीमा पर भारतीय सरहदों की निगरानी कर रही सेना के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है कि भारी हथियरों को ऊंचे पहाड़ों पर तैनात कैसे किया जाए। 16 से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर भारी 60 टन के भारी भरकम टैंक ले जाना तो असंभव सा काम है। इसलिए जोरावर की जरूरत महसूस की गई थी। इस टैंक का वजन केवल 45 टन है।

डीआरडीओ और निजी क्षेत्र की फर्म एल एंड टी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा बेहद हल्का टैंक जोरावर इस साल के अंत तक चीन के साथ लगती सीमा पर ऊंचाई वाली जगहों में परीक्षण के लिए तैयार है।  डीआरडीओ के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार  इसे तुरंत लद्दाख सेक्टर में परीक्षणों के लिए भेजा जाएगा। एक बार जब जब डीआरडीओ संतुष्ट हो जाएगा तो हम इसे उपयोगकर्ता परीक्षणों के लिए सेना को सौंप दिया जाएगा। लेकिन अब समस्या ये है कि जरूरी पार्ट्स न मिलने की सूरत में सेना को ये टैंक जल्दी मिलते नहीं दिख रहे हैं।

Web Title: delay in getting the light Zorawar tank to the army due to the Russia-Ukraine war

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