महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण को बहाल करने पर सभी दल सहमत हो गए हैं और एक हफ्ते के अंदर इस पर निर्णय किया जाएगा। वह यहां के सह्याद्री गेस्ट हाउस में इस मुद्दे पर आयोजित सर्वदलीय बैठक में बोल रहे थे। ठाकरे ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा पहले इसके प्रावधान को नकार देने के बाद राज्य सरकार महाराष्ट्र में ओबीसी के लिए राजनीतिक आरक्षण बहाल करने का प्रयास कर रही है। एक आधिकारिक बयान में ठाकरे के हवाले से बताया गया, ‘‘स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को पुनर्बहाल करने के लिए हम सब सहमत हो गए हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों के सुझावों का राज्य सरकार अध्ययन करेगी। उनमें से सभी ने आरक्षण बहाल किए जाने तक नगर निकाय चुनाव कराए जाने का विरोध किया।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अगली बैठक अगले शुक्रवार (तीन सितंबर) को होगी और तब तक हम कोई निर्णय कर लेंगे।’’ बैठक के बाद भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा कि महाराष्ट्र सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आंकड़े जुटाने पर ध्यान देना चाहिए ताकि समुदाय के लिए राजनीतिक आरक्षण को बहाल किया जा सके। फडणवीस ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण को खारिज नहीं किया है बल्कि केवल एक प्रावधान को बताया है। इसका मतलब है कि अगर महाराष्ट्र सरकार तीन प्रावधानों को पूरा कर लेती है तो राजनीतिक आरक्षण बहाल कर दिया जाएगा। राज्य सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।’’ फडणवीस ने कहा कि तीन प्रावधानों को पूरा करने के लिए जरूरी पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन राज्य सरकार कर चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राज्य सरकार के पिछड़ा वर्ग आयोग को आंकड़ा जुटाना चाहिए ताकि हम ओबीसी के लिए राजनीतिक आरक्षण हासिल कर सकें। राज्य को ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन का अध्ययन कराने की भी जरूरत है।’’ फडणवीस ने कहा कि पूरे समुदाय की गणना की जरूरत नहीं है और आंकड़े नमूना आधार पर जुटाए जा सकते हैं। भाजपा-शिवसेना की सरकार ने 2019 में ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण दिया था, लेकिन मार्च 2021 में उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र जिला परिषद् और पंचायत समिति अधिनियम, 1961 की धारा 12 (2) (सी) के बारे में कहा था कि इसके तहत ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने से संपूर्ण आरक्षण के 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन होता है।
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