पुलिस हिरासत में मौत हमेशा से चिंता का विषय रहा है: इलाहाबाद उच्च न्यायालय
By भाषा | Published: August 26, 2021 11:45 PM2021-08-26T23:45:23+5:302021-08-26T23:45:23+5:30
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति को जान से मारने के आरोपी एक पुलिसकर्मी की जमानत याचिका खारिज करते हुए बुधवार को कहा कि हिरासत में व्यक्ति के साथ हिंसा और उसकी मौत, हमेशा से ही सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय रहा है। शेर अली नाम के पुलिसकर्मी की जमानत याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति समित गोपाल ने डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय का हवाला दिया जिसमें न्यायालय ने पुलिस हिरासत में मौत पर नाराजगी जाहिर करते हुए आरोपी की गिरफ्तारी के लिए दिशानिर्देश जारिए किए थे ताकि ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें। मौजूदा मामले में शिकायतकर्ता संजय कुमार गुप्ता ने आरोप लगाया कि 28 दिसंबर, 1997 को कुछ पुलिसकर्मी उनके घर आए और उनके पिता गोरखनाथ उर्फ ओम प्रकाश गुप्ता को अपने साथ ले गए। बाद में पुलिसकर्मियों द्वारा उन्हें बताया गया कि उनके पिता की ह्रदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। पुलिस के इस बयान को नकारते हुए शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उनके पिता को बेरहमी से पीटा गया जिसकी वजह से थाने में ही उनकी मृत्यु हो गई। इस मामले में शेर अली के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 364, 304 और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।