दारुल उलूम का नया फतवा, बैंक में काम करने वालों से मत करें बेटे-बेटियों की शादी
By पल्लवी कुमारी | Updated: January 5, 2018 14:44 IST2018-01-05T14:21:27+5:302018-01-05T14:44:21+5:30
देववंद के दारुल इफ्ता ने बैंकिंग सेक्टर का काम इस्लाम धर्म के लिए बताया नाजायज।

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सहारनपुर देववंद के दारुल उलूम ने एक अजीब-गरीब फतवा जारी किया है। इस नए फतवे में कहा गया है कि मुस्लिम परिवार के लोग अब बैंक कर्मियों के साथ अपने बेटे-बेटियों की शादी नहीं करेंगे। इसके पीछे दारुल उलूम का तर्क है कि बैंक विभाग में काम करके जो लोग पैसे कमा रहे हैं वह नाजायज है। यह फतवा दारुल इफ्ता ने एक शख्स के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में दिया।
बैंकिंग सेक्टर का काम इस्लाम धर्म में नाजायज है
देववंद में एक शख्स ने दारुल इफ्ता से पूछा कि उनके यहां शादी के लिए रिश्ता आया है। लड़की के पिता बैंक में नौकरी करते हैं। इसपर दारुल इफ्ता ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर पूरी तरह ब्याज पर आधारित है, जो इस्लाम धर्म के अनुसार नाजायज है। इसके बाद ही दारुल उलूम ने फतवा जारी किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के परिवार में शादी नहीं करनी चाहिए, जो नाजायज की कमाई कर रहे हैं। इसके विपरीत किसी नेक घर में रिश्ता तलाशना चाहिए।
इसलिए इस्लाम धर्म में माना जाता है नाजायज
दारुल इफ्ता ने बताया कि इस्लामी कानून या शरीयत में ब्याज वसूली के लिए रकम देना और लेना नाजायज माना जाता है। इसके अलावा इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक नाजायज समझे जानेवाले कारोबारों में निवेश को भी गलत माना जाता है। इस्लाम की मानें तो धन का अपना कोई स्वाभाविक मूल्य नहीं होता, इसलिए उसे लाभ के लिए रहन पर दिया या लिया नहीं जा सकता। इसका केवल शरीयत के हिसाब से ही इस्तेमाल किया जा सकता है। दुनिया के कुछ देशों में इस्लामी बैंक ब्याजमुक्त बैंकिंग के सिद्धांतों पर काम करते हैं।