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भुवनेश्वरः जिंदगी नहीं लाखों पेड़ों पर कहर बरपाया फोनी, अब 'ग्रीन गारबेज' नयी मुसीबत

By भाषा | Updated: May 10, 2019 16:37 IST

डिवीजनल वन अधिकारी अशोक मिश्रा ने बताया ''शहर में बिखरे पेड़ों को देखकर हमारे आंसू निकल आए क्योंकि इन्हें बच्चों की तरह हमने बड़ा किया था। अब जो गिने—चुने पेड़ बच गए हैं , उनके रिहैबिलिटेशन में हमारी 40 सदस्यीय टीम जुटी हैं।

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ठळक मुद्देजमींदोज दरख्त बयां कर रहे फोनी से उजड़े चमन की कहानीबीएमसी, लोक कार्य, एनडीआरएफ, ओडिशा, दमकल सेवा और ओडीआरएएफ मिल कर इस काम को अंजाम दे रहे हैं।

चंद रोज पहले तक शहर को हरियाली की चादर पहनाते लहलहाते पेड़ हर गली, स्कूल, कॉलेज, सिनेमाघर और रेस्त्रां के बाहर जमींदोज पड़े अब फोनी से धरती पर लगे उन जख्मों को बयां कर रहे हैं जिन्हें भरने में दस पंद्रह बरस लग जाएंगे।

तीन मई को आए चक्रवात फोनी ने जिंदगियों पर तो कहर उतना नहीं बरपाया लेकिन शहर भर में दस लाख से अधिक पेड़ बर्बाद हो गए जिनके दम पर स्मार्टसिटी भुवनेश्वर का चप्पा चप्पा हरा भरा नजर आता था। पहले ही शहर से रोज टनों कचरा हटवाने की जद्दोजहद से जूझ रहे भुवनेश्वर नगर निगम के लिए अब 'ग्रीन गारबेज' नयी मुसीबत बन गया है जबकि वन विभाग बच्चों की तरह पाले इन पेड़ों को खोने के दुख से उबर नहीं पा रहा है।

शहर के डिवीजनल वन अधिकारी अशोक मिश्रा ने बताया ''शहर में बिखरे पेड़ों को देखकर हमारे आंसू निकल आए क्योंकि इन्हें बच्चों की तरह हमने बड़ा किया था। अब जो गिने—चुने पेड़ बच गए हैं , उनके रिहैबिलिटेशन में हमारी 40 सदस्यीय टीम जुटी हैं।

पिछले चार दिन में करीब 800 पेड़ों का रिहैबिलिटेशन किया गया है।'' उन्होंने बताया ''शहर भर के अलावा पार्क और शहर के बाहर तथा लोगों के आंगन में गिरे पेड़ अलग हैं। अकेले पत्रापाड़ा पार्क में करीब एक लाख पेड़ गिर गए हैं। शहर की हरियाली छिन गई है और अब फिर पेड़ों को इतना बड़ा करने में कम से कम 15 से 20 साल लगेंगे।''

नयापल्ली में रहने वाली क्षिप्रा मोहंती के घर में आम का बड़ा पेड़ टूट कर गिर गया जो उनकी दादी ने लगाया था। उन्होंने कहा ''यह मेरी दादी की निशानी थी। फोनी में यह गिर गया और ऐसा लग रहा है जैसे दादी का साया फिर सिर से उठ गया। घर में किसी ने भी उस दिन खाना नहीं खाया।''

वन विभाग के सामने बड़ी चुनौती नए सिरे से शहर को हरा भरा बनाने की भी है और अब कुदरती कहर झेल सकने वाले पेड़ लगाने की योजना है। मिश्रा ने कहा कि पूरे शहर से मलबा हटाने के बाद ही नए सिरे से वृक्षारोपण मुहिम शुरू की जाएगी और उनका लक्ष्य मानसून की पहली बारिश से इसका आगाज करने का है।

उन्होंने कहा ''हमारे पास दो लाख पौधों का नर्सरी भंडार है लेकिन वृक्षारोपण चरणबद्ध तरीके से होगा। इस बार हम नीम, अमलतास जैसे मजबूत पेड़ लगाएंगे क्योंकि अब यहां चक्रवात बार-बार आ रहे हैं और फोनी ने तो पीपल, बरगद को भी नहीं छोड़ा।''

पूरे शहर में टूटे पेड़ों और बिजली के गिरे हुए खंभों का जाल बिछा हुआ है जिन्हें शहर के बाहर भुसुनी में बनाए गए अस्थायी ट्रांजिट स्टेशन तक भेजने के लिए भारी तादाद में ट्रक लगाए गए हैं। बीएमसी द्वारा बनाए गए विभिन्न सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी वाले नियंत्रण कक्ष में अब तक करीब एक हजार कॉल आ चुके हैं और अधिकारियों का कहना है कि इनमें से अधिकतर कॉल पेड़ों को हटाने के लिए है।

बीएमसी, लोक कार्य, एनडीआरएफ, ओडिशा, दमकल सेवा और ओडीआरएएफ मिल कर इस काम को अंजाम दे रहे हैं। हरित मलबे को हटाने के लिए बीएमसी ने 10 वार्ड में 445 सफाई कर्मचारी लगाए हैं जबकि बाकी एजेंसियों ने 57 वार्ड में 2306 कर्मी लगाए हैं। 

टॅग्स :चक्रवात फोनीभुवनेश्वरओड़िसानवीन पटनायक
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