हिरासत में मौत का मामला: उच्च न्यायालय ने सजा के खिलाफ सेंगर की अपील पर जवाब के लिए सीबीआई को समय दिया

By भाषा | Updated: November 23, 2020 16:51 IST2020-11-23T16:51:47+5:302020-11-23T16:51:47+5:30

Custody death case: High court gives CBI time to reply on Sanger's appeal against conviction | हिरासत में मौत का मामला: उच्च न्यायालय ने सजा के खिलाफ सेंगर की अपील पर जवाब के लिए सीबीआई को समय दिया

हिरासत में मौत का मामला: उच्च न्यायालय ने सजा के खिलाफ सेंगर की अपील पर जवाब के लिए सीबीआई को समय दिया

नयी दिल्ली, 23 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उस अपील पर स्थिति रिपोर्ट दायर करने के लिए सीबीआई को समय प्रदान कर दिया जिसमें उसने उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में अपनी दोषसिद्धि और 10 साल कैद की सजा को चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने सोमवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दायर करे।

मामले में अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी।

उच्च न्यायालय ने सेंगर की अपील पर छह नवंबर को सीबीआई को नोटिस जारी किया था और उससे दोषी के उस आवेदन पर भी जवाब देने को कहा था जिसमें अपील के लंबित रहने तक सजा को निलंबित किए जाने का आग्रह किया गया है।

सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने स्थिति रिपोर्ट दायर करने के लिए और समय मांगा तथा कहा कि मामले के जांच अधिकारी हाथरस कांड से संबंधित मामले की जांच भी कर रहे हैं जिसके चलते वह जवाब दायर नहीं कर सके।

सेंगर की ओर से पेश वकील कन्हैया सिंघल ने कहा कि सजा को निलंबित करने का उनका मजबूत मामला है और सीबीआई के जवाब दायर करने के बाद वह अपनी दलीलें पेश करेंगे।

उन्नाव में नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में सेंगर को जीवन के अंतिम समय तक कारावास की सजा सुनाई गई है। मामले में दोषसिद्धि के बाद 25 फरवरी को उत्तर प्रदेश विधानसभा की उसकी सदस्यता निरस्त कर दी गई थी।

बलात्कार पीड़िता के पिता को सेंगर के कहने पर शस्त्र कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था और हिरासत में पुलिस की ज्यादती के चलते नौ अप्रैल 2018 को उनकी मौत हो गई थी।

हिरासत में पीड़िता के पिता की मौत के मामले में निचली अदालत ने चार मार्च को सेंगर, उसके भाई और पांच अन्य को दोषी ठहराया था तथा 13 मार्च को उन्हें 10 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी।

निचली अदालत ने सेंगर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

सेंगर ने अपनी दोषसिद्धि और सजा के निचली अदालत के फैसले को दरकिनार किए जाने का आग्रह किया है।

उसने अपनी अपील में कहा है, ‘‘निष्पक्ष मुकदमे के लिए आवश्यक है कि जांच एजेंसी, अभियोजन और गवाह अदालत के समक्ष सच्चे तथ्य पेश करें और फिर वह अदालत, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मुकदमा सुनिश्चित करे...।’’

सेंगर ने दावा किया कि यह मामला लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और दो राजनीतिक गुटों के बीच काफी गहरी शत्रुता का परिणाम है।

पीड़िता के पिता की मौत के मामले में दस साल कैद की सजा के साथ ही सेंगर, उसके भाई, उन्नाव में माखी थाने के तत्कालीन प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया और तत्कालीन उपनिरीक्षक के पी सिंह, विनीत मिश्रा, बीरेंद्र सिंह और शशि प्रताप सिंह को अन्य अपराधों में भी सजा सुनाई गई है।

उन्हें आपराधिक साजिश, झूठे साक्ष्य, अपराध होने के संबंध में झूठी सूचना देने, अपराध के साक्ष्यों को मिटाने आदि के मामले में भी दोषी ठहराया गया था।

नाबालिग लड़की से 2017 में हुए बलात्कार के मामले में सेंगर को पिछले साल 20 दिसंबर को जीवन के अंतिम समय तक के लिए कारावास की सजा सुनाई गई थी।

उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मामला उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था।

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Web Title: Custody death case: High court gives CBI time to reply on Sanger's appeal against conviction

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