हिरासत में हुई मौत मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट, अधिक शक्ति ज्यादा जिम्मेदारी भी लेकर आती है
By भाषा | Published: September 5, 2018 05:18 AM2018-09-05T05:18:17+5:302018-09-05T05:18:17+5:30
अभियोजन के अनुसार महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों ने 23 जून, 1993 को गश्ती के दौरान चोरी के आरोप में जॉइनस को पकड़ लिया था। पुलिस ने उसे उसके घर के बाहर बिजली के एक खंभे में बांध दिया और डंडों से उसकी पिटाई की।
नई दिल्ली, 05 सितंबरः उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि ‘अधिक शक्ति अपने साथ ज्यादा जिम्मेदारी भी लेकर आती है। शीर्ष न्यायालय ने हिरासत में मौत के एक मामले में महाराष्ट्र पुलिस के कुछ कर्मियों को मिली सजा को तीन साल से बढ़ाकर सात साल करते हुए मंगलवार को यह टिप्पणी की।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि पुलिस की संलिप्तता वाली इस तरह की घटनाओं से न्याय प्रणाली के प्रति लोगों के विश्वास में कमी आती है। न्यायमूर्ति एन वी रमन और न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौदर की पीठ ने कहा कि यह जरूरी है कि पुलिस ‘लोकतांत्रिक पुलिसिंग’ के सिद्धांत को समझे, जहां अपराध नियंत्रण ही काफी नहीं है बल्कि उसे हासिल करने का साधन भी उतना ही अहम है।
अभियोजन के अनुसार महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों ने 23 जून, 1993 को गश्ती के दौरान चोरी के आरोप में जॉइनस को पकड़ लिया था। पुलिस ने उसे उसके घर के बाहर बिजली के एक खंभे में बांध दिया और डंडों से उसकी पिटाई की।
विभिन्न स्थानों पर घुमाने के बाद उसे सुबह 3.55 बजे लॉक अप में बंद कर दिया गया लेकिन वह सुबह मृत पाया गया था। निचली अदालत ने पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए तीन साल के कारावास की सजा सुनायी थी। अब, शीर्ष न्यायालय ने दोषी ठहराये गए पुलिसकर्मियों की सजा बढ़ाकर सात साल कर दी है।