'इतिहास में सावरकर का स्थान गांधी से कम नहीं', संस्कृति मंत्रालय की पत्रिका का ताजा अंक आया चर्चा में

By विनीत कुमार | Published: July 17, 2022 08:09 AM2022-07-17T08:09:28+5:302022-07-17T08:16:37+5:30

गांधी स्मृति और दर्शन स्मृति (जीएसडीएस) की ओर से प्रकाशित पत्रिका 'अंतिम जन' का ताजा अंक विनायक दामोदर सावरकर पर आधारित है। इसकी प्रस्तावना में सावरकर की तुलना महात्मा गांधी से की गई है।

Culture ministry journal latest issue to dedicated toVinayak Damodar Savarkar, compares him with Mahatama Gandhi | 'इतिहास में सावरकर का स्थान गांधी से कम नहीं', संस्कृति मंत्रालय की पत्रिका का ताजा अंक आया चर्चा में

संस्कृति मंत्रालय की पत्रिका का ताजा अंक चर्चा में (फाइल फोटो)

Highlightsगांधी स्मृति और दर्शन स्मृति (जीएसडीएस) द्वारा प्रकाशित पत्रिका 'अंतिम जन' का ताजा अंक सावरकर पर आधारित।पत्रिका की प्रस्तावना में लिखा गया है- सावरकर का कद महात्मा गांधी से कम नहीं है

नई दिल्ली: संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करने वाले गांधी स्मृति और दर्शन स्मृति (जीएसडीएस) द्वारा प्रकाशित एक मासिक पत्रिका 'अंतिम जन' का नवीनतम अंक विनायक दामोदर सावरकर को समर्पित है। इसमें पत्रिका की प्रस्तावना में लिखा गया है कि इतिहास में सावरकर का कद महात्मा गांधी से कम नहीं है। जीएसडीएस के चेयरपर्सन प्रधानमंत्री होते हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार जीएसडीएस के उपाध्यक्ष और भाजपा नेता विजय गोयल द्वारा लिखे गए इस प्रस्तावना में सावरकर को 'महान देशभक्त' कहा गया है। साथ ही लिखा है, 'यह दुखद है कि जिन्होंने जेल में (स्वतंत्रता संग्राम के दौरान) एक दिन भी नहीं बिताया, और समाज के लिए योगदान नहीं दिया, वे सावरकर जैसे देशभक्त की आलोचना करते हैं। सावरकर का इतिहास में स्थान और स्वतंत्रता आंदोलन में उनका सम्मान महात्मा गांधी से कम नहीं है।'

गोयल ने लिखा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके योगदान के बावजूद सावरकर को 'कई वर्षों तक स्वतंत्रता के इतिहास में उनका उचित स्थान' नहीं मिला।

जीएसडीएस के अधिकारियों ने कहा कि जून का अंक सावरकर को 28 मई को उनकी जयंती के अवसर पर समर्पित था और जीएसडीएस स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने के मौके पर स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित अंक निकालता रहेगा।

जीएसडीएस की स्थापना 1984 में की गई थी। इसका मूल उद्देश्य महात्मा गांधी के जीवन, मिशन और विचारों को विभिन्न सामाजिक-शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रचारित करना है। गांधीवादियों का एक मनोनीत निकाय और विभिन्न सरकारी विभागों के प्रतिनिधि इसके कार्यक्रमों के लिए मार्गदर्शन देते हैं।

पत्रिका के जून के कवर पेज पर सीताराम द्वारा बनाया सावरकर का एक स्केच है। इस पत्रिका के 68 पन्नों के लगभग एक तिहाई पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मराठी रंगमंच और फिल्म लेखक श्रीरंग गोडबोले, राजनीतिक टिप्पणीकार उमेश चतुर्वेदी और लेखक कन्हैया त्रिपाठी आदि के हिंदुत्व विचार पर आर्टिकल और लेख हैं।

पत्रिका में हिंदुत्व पर एक निबंध भी है जिसे सावरकर की अपनी इसी नाम की किताब से लिया गया है। गोयल की प्रस्तावना के बाद भारत में धार्मिक सहिष्णुता पर महात्मा गांधी का एक लेख है।

वहीं, वाजपेयी के लेख में सावरकर को 'व्यक्तित्व नहीं बल्कि एक विचार' कहा गया है, और इस बात का जिक्र है कि सावरकर ने गांधी से पहले 'हरिजन' समुदाय के लोगों के उत्थान की बात की थी। गोडबोले ने सावरकर और गांधी की हत्या के मुकदमे (वीर सावरकर और महात्मा गांधी हत्या अभियोगा) पर लेख लिखा है। लेखक मधुसूदन चेरेकर ने गांधी और सावरकर के बीच के संबंधों के बारे में लिखा है।

इस अंक में एक पन्ना है है जो पाठकों को सावरकर द्वारा लिखित पुस्तकों के बारे में बताता है।

Web Title: Culture ministry journal latest issue to dedicated toVinayak Damodar Savarkar, compares him with Mahatama Gandhi

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