राजस्थानः डॉक्टरों की मेहनत लाई रंग, देश में पहली बार हुआ गौशाला में गायों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन
By भाषा | Updated: October 14, 2018 13:45 IST2018-10-14T13:45:13+5:302018-10-14T13:45:13+5:30
जोधपुर के पास मंडोर में स्थित पन्नालाल गौशाला देश की पहली गौशाला है, जहां यह सुविधा हाल ही में शुरू की गई है। गौशाला में पिछले महीने पांच गायों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया।

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मंडोर की एक गौशाला में विशेष ऑपरेशन थिएटर बनाकर पांच गायों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया है। इनमें से तीन गाय ठीक से देख पा रही हैं और आने वाले दिनों में करीब सौ गायों का ऑपरेशन किया जाएगा। देश में पहली बार किसी गौशाला में गायों के ऑपेरशन की ऐसी व्यवस्था की गई है।
जोधपुर के पास मंडोर में स्थित पन्नालाल गौशाला देश की पहली गौशाला है, जहां यह सुविधा हाल ही में शुरू की गई है। गौशाला में पिछले महीने पांच गायों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया।
गौशाला प्रबंधन समिति के कोषाध्यक्ष सालगराम टाक ने बताया कि गायों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए विशेष ऑपरेशन थियेटर बनाया गया है। इसमें पिछले माह आयोजित पहले शिविर में राजस्थान पशु चिकित्सा और पशुविज्ञान विश्वविद्यालय (बीकानेर) में नेत्र रोग विभाग के प्रमुख सुरेश कुमार झीरवाल की टीम ने ऑपरेशन किए। टांक ने बताया कि पहली बार पांच गायों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया जिनमें से तीन बिलकुल सही ढंग से देख पा रही हैं।
डॉ. झीरवाल ने बताया कि उनकी टीम इससे पहले श्वान, बिल्लियों, खरगोश, बतख तथा कुछ पक्षियों में मोतियाबिंद के ऑपरेशन कर चुकी है लेकिन गायों में पहली बार इस तरह का आपेरशन किसी गौशाला में किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस गौशाला में मोतियाबिंद से पीड़ित लगभग 100 और गायों के ऑपरेशन आने वाले दिनों में किए जाएंगे। टाक ने बताया कि गौशाला में दूसरा ऑपरेशन थियेटर बनाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जोधपुर के पास 50 बीघे में फैली 145 वर्ष पुरानी इस गौशाला में लगभग चार हजार अपंग या बीमार गायों की देखरेख की जा रही है। यहां करीब 700 दृष्टिहीन गाय हैं। इसके अलावा छह हजार कबूतर भी यहां है। गौशाला में 80 कर्मचारी हैं जो गायों की देखभाल करते हैं।