राजकोट अग्निकांड पर गुजरात की रिपोर्ट से न्यायालय नाखुश, कहा तथ्य छिपाये नहीं जाने चाहिए

By भाषा | Published: December 1, 2020 06:09 PM2020-12-01T18:09:39+5:302020-12-01T18:09:39+5:30

Court unhappy with Gujarat report on Rajkot fire, said facts should not be hidden | राजकोट अग्निकांड पर गुजरात की रिपोर्ट से न्यायालय नाखुश, कहा तथ्य छिपाये नहीं जाने चाहिए

राजकोट अग्निकांड पर गुजरात की रिपोर्ट से न्यायालय नाखुश, कहा तथ्य छिपाये नहीं जाने चाहिए

नयी दिल्ली, एक दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को राजकोट जिले में कोविड-19 के लिये नामित एक अस्पताल में हुये अग्निकांड के बारे में गुजरात सरकार की रिपोर्ट पर अप्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि तथ्यों को छिपाने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। इस अग्निकांड में कई कोविड मरीजों की मृत्यु हो गयी थी।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, ‘‘हमने गुजरात का जवाब देखा है। सातवीं मंजिल पर पांच मरीजों की मृत्यु हुयी। यह किस तरह का हलफनामा है। तथ्यों को छिपाने का कोई प्रयास नहीं होना चाहिए।’’ पीठ ने पिछले सप्ताह इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया था।

हलफनामे में दी गयी जानकारी पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुये पीठ ने कहा, ‘‘जांच समिति गठित की गयी है। प्राथमिकी दर्ज हुयी है लेकिन अपरिहार्य कारणों से लोगों को जमानत भी मिल गयी है। आयोग के बाद आयोग गठित होते हैं लेकिन इसके बाद कुछ नहीं होता। ’’

पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस रिपोर्ट का अवलोकन करने और यह सुनिश्चित करने के लिये कहा कि शीर्ष अदालत में बेहतर हलफनामा दाखिल किया जाये।

पीठ ने कहा, ‘‘मिस्टर मेहता, आप इस हलफनामे पर गौर कीजिये और देखें कि वे क्या दाखिल कर रहे हैं।’’

मेहता ने पीठ से कहा कि वह रिपोर्ट का अवलोकन करेंगे और इस बारे में राज्य सरकार से बात करेंगे।

पीठ ने इस मामले को अब तीन दिसंबर के लिये सूचीबद्ध कर दिया है।

मेहता ने पीठ को सूचित किया कि केन्द्र ने देश भर के अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के बारे में दिशा निर्देश जारी किये है।

उन्होंने कहा, ‘‘केन्द्र सरकार ने अग्नि सुरक्षा के बारे में दिशा निर्देश जारी किये हैं। मैंने हलफनामा दाखिल किया है।’’

केन्द्र ने सोमवार को सभी राज्यों को अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अग्नि सुरक्षा के समुचित बंदोबस्त सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। केन्द्र ने कहा था कि जब पूरा देश कोराना वायरस महामारी से जूझ रहा है तो ऐसी स्थिति में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है।

केन्द्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने गुजरात के दो अस्पतालों में अग्निकांड की घटनाओं के मद्देनजर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखे थे। इन अग्निकांड में 14 व्यक्तियों की मृत्यु हुयी है।

गृह सचिव ने कहा था कि हाल के दिनों में अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अग्निकांड की कई घटनायें हुयी हैं और प्राधिकारियों द्वारा अपने अधिकार क्षेत्रों में अग्नि सुरक्षा के उपायों का पालन सुनिश्चित नहीं करना बहुत ही चिंता का विषय है।

न्यायालय ने 27 नवंबर को राजकोट में कोविड-19 अस्पताल में हुये अग्निकांड की घटना पर स्वत: ही संज्ञान लेते हुये गुजरात सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। न्यायालय ने बार बार इस तरह की घटनायें होने के बावजूद इन्हें कम करने के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाने पर राज्यों की तीखी आलोचना की।

पीठ ने इस घटना को बेहत हतप्रभ करने वाला बताते हुये कहा था कि यह बहुत ही गंभीर मामला है और यह नामित सरकारी अस्पतालों की स्थिति को दर्शाता है क्योंकि इसी तरह की घटनायें दूसरे स्थानों पर भी हो चुकी हैं।

पीठ ने कहा था कि यह घटना इस बात का प्रतीक है कि ऐसी स्थिति से निबटने के लिये अग्नि सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त नहीं है।

मेहता ने पीठ को आश्वस्त किया था कि केन्द्रीय गृह सचिव शनिवार तक बैठक आयोजित करेंगे और देश भर के सरकारी अस्पतालों के लिए अग्नि सुरक्षा निर्देश जारी करेंगे।

गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बताया था कि राजकोट जिले में निर्दिष्ट कोविड-19 अस्पताल के आईसीयू में आग लगने से संक्रमण के इलाज के लिए भर्ती पांच मरीजों की मौत हो गई जबकि इसमें उपचार के लिए भर्ती 26 अन्य मरीजों को सुरक्षित निकाल कर अन्य जगह स्थानांतरित किया गया है।

पटेल ने यह भी कहा था कि आनंद बंगला चौक इलाके में स्थित चार मंजिला उदय शिवानंद अस्पताल की पहली मंजिल पर स्थित आईसीयू में रात में करीब साढ़े बारह बजे आग लगी थी। इस अग्निकांड के समय इसमें करीब 31 मरीज भर्ती थे।

इस अग्निकांड से चार दिन पहले ही 23 नवंबर को न्यायालय ने कोविड-19 के तेजी से बढ़ रहे मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुये कहा था कि दिल्ली में महामारी के हालात ‘‘बदतर’’ हो गए हैं और गुजरात में स्थिति ‘‘नियंत्रण से बाहर’’ हो गई है।

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Web Title: Court unhappy with Gujarat report on Rajkot fire, said facts should not be hidden

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