त्रिपुरा हिंसा पर जांच समिति गठित करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगा न्यायालय

By भाषा | Updated: November 29, 2021 16:17 IST2021-11-29T16:17:50+5:302021-11-29T16:17:50+5:30

Court to hear plea to set up inquiry committee on Tripura violence | त्रिपुरा हिंसा पर जांच समिति गठित करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगा न्यायालय

त्रिपुरा हिंसा पर जांच समिति गठित करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगा न्यायालय

नयी दिल्ली, 29 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने त्रिपुरा में हाल ही में हुई ‘साम्प्रदायिक हिंसा’ और इसे लेकर राज्य पुलिस की कथित मिली-भगत और निष्क्रियता की स्वतंत्र जांच के लिए दायर याचिका पर सोमवार को केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किये।

न्यायमूर्ति डी. वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने अधिवक्ता ई. हाशमी की याचिका पर सुनवाई के बाद केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किये। पीठ ने केन्द्र और त्रिपुरा सरकार को दो सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया है। इस मामले में अब दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी।

याचिकाकर्ता, जो एक अधिवक्ता है, ई. हाशमी की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बताया कि ‘‘वे हालिया साम्प्रदायिक दंगों की स्वतंत्र जांच और इसमें पुलिस की कथित भूमिका की जांच चाहते हैं।’’

भूषण ने कहा, ‘‘न्यायालय के समक्ष त्रिपुरा के कई मामले लंबित हैं। तथ्याण्वेशी मिशन पर गए कुछ वकीलों को भी नोटिस भेजा गया है। पत्रकारों पर यूएपीए के आरोप लगाए गए। पुलिस ने हिंसा के मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की। हम सभी चाहते हैं कि अदालत की निगरानी में इसकी जांच एक स्वतंत्र एक समिति करे।’’

पीठ ने कहा कि वह पक्षों को नोटिस जारी कर रही है और मामला अगली सुनवाई के लिए दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया गया है। न्यायालय ने निर्देश दिया कि याचिका की प्रति केन्द्रीय एजेंसी और त्रिपुरा के स्थाई वकील को भी दी जाए।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि वहां पुलिस प्रशासन की दंगाईयों के साथ मिली भगत थी और लूटपाट तथा अग्निकांड की घटनाओं के सिलसिले में एक भी दंगाई को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

याचिका के अनुसार पुलिस और राज्य प्रशासन हिंसा रोकने के प्रयास करने की बजाये यही दावा करता रहा कि त्रिपुरा में कहीं भी सांप्रदायिक तनाव नहीं है और किसी धार्मिक ढांचे में आग लगाये जाने की घटना से भी उसने इंकार किया।

इससे पहले, 11 नवंबर को शीर्ष अदालत ने दो अधिवक्ताओं और एक पत्रकार की याचिका पर सुनवाई की जिसमे राज्य में हिंसा के बारे में तथ्यों को सोशल मीडिया के माध्यम से सामने लाने की वजह से उनके खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज आपराधिक मामले रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

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Web Title: Court to hear plea to set up inquiry committee on Tripura violence

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