न्यायालय ने वैवाहिक विवाद मामलों में गुजारा भत्ते के भुगतान के लिये दिशानिर्देश प्रतिपादित किये

By भाषा | Published: November 4, 2020 08:17 PM2020-11-04T20:17:49+5:302020-11-04T20:17:49+5:30

Court sets guidelines for payment of alimony in marital dispute cases | न्यायालय ने वैवाहिक विवाद मामलों में गुजारा भत्ते के भुगतान के लिये दिशानिर्देश प्रतिपादित किये

न्यायालय ने वैवाहिक विवाद मामलों में गुजारा भत्ते के भुगतान के लिये दिशानिर्देश प्रतिपादित किये

नयी दिल्ली, चार नवंबर उच्चतम न्यायालय ने वैवाहिक विवाद मामलों में देश की विभिन्न अदालतों द्वारा अंतरिम मुआवजा और गुजारा भत्ते की राशि के निर्धारण में एकरूपता लाने के इरादे से बुधवार को विस्तृत दिशा-निर्देश प्रतिपादित किये।

न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा कि ओवरलैपिंग अधिकार क्षेत्र और परस्पर विरोधी आदेशों की समस्या से निकलने के लिये कुछ निर्देश देने की आवश्यकता थी।

शीर्ष अदालत ने ओवरलैपिंग अधिकार क्षेत्र, अंतरिम गुजारा भत्ते का भुगतान, गुजारा भत्ते की राशि निर्धारित करने का आधार, गुजारा भत्ते के भुगतान की तारीख का निर्धारण और गुजारा भत्ते के आदेशों पर अमल जैसे बिन्दुओं पर दिशा-निर्देश प्रतिपादित किये हैं।

अधिकार क्षेत्र ओवरलैपिंग होने के मुद्दे पर शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि अगर कोई पक्ष अलग-अलग कानून के तहत एक के बाद एक दावे करता है तो अदालत बाद की कार्यवाही में किसी प्रकार की राशि का निर्धारण करते समय पहले की कार्यवाही में निर्धारित राशि को समायोजित करने या इसे अलग कर देगी।

पीठ ने गुजारा भत्ते के लिये बाद में शुरू की गयी कार्यवाही में परस्पर विरोधी आदेशों से बचने के लिये निर्देश दिया कि आवेदक गुजारा भत्ते की पहले की कार्यवाही और उसमें दिये गये आदेशों की जानकारी देगा ।

न्यायालय ने कहा, ‘‘आवेदक के लिये दूसरी कार्यवाही शुरू करते समय पहली कार्यवाही और उसमें दिये गये आदेशों की जानकारी देना अनिवार्य है। अगर पहली कार्यवाही में दिये गये आदेश में किसी प्रकार के सुधार की आवश्यकता हुयी तो इसके लिये उक्त पक्ष को पहले कार्यवाही वाली अदालत में ही जाना होगा।’’

अंतरिम गुजारा भत्ते के भुगतान के बारे में न्यायालय ने कहा कि गुजारा भत्ते से संबंधित सारी कार्यवाही में दोनों पक्षों को हलफनामे पर अपनी संपत्तियों और देनदारियों की जानकारी और देश भर में संबंधित कुटुम्ब अदालत, जिला अदालत या मजिस्ट्रेट की अदालत में लंबित कार्यवाही का विवरण भी फैसले के साथ संलग्न करना होगा।

गुजारा भत्ते की राशि का निर्धारण करने के पहलू पर शीर्ष अदालत ने कहा कि संबंधित अदालत इस फैसले में निर्धारित आधारों पर विचार करेंगे।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ये पहलू ही पूरे नहीं हैं और संबंधित अदालत अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हुये किसी अन्य पहलू पर भी विचार कर सकती है, जो उसे पेश मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में प्रासंगिक लगते हों।

न्यायालय ने इस पहलू पर भी विचार किया कि गुजारा भत्ता किस तारीख से देना होगा। न्यायालय ने कहा कि इसके लिये आवेदन दायर करने की तारीख से गुजारा भत्ते का भुगतान करना होगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि धन से संबंधित डिक्री लागू कराने के लिये दीवानी प्रक्रिया संहिता में उपलब्ध प्रावधानों के जरिये दीवानी हिरासत जैसे उपाय करके संपत्ति जब्त कराने या गुजारा भत्ते का आदेश या डिक्री किसी भी दीवानी अदालत की डिक्री की तरह से लागू करायी जा सकती है

न्यायालय ने कहा कि इस फैसले की प्रति शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार को प्रेषित करेंगे जो राज्यों में सभी जिला न्यायाधीशों के पास इसे भेजेंगे। यह फैसला जागरूकता पैदा करने और अमल के लिये सभी जिला अदालतों, कुटुम्ब अदालतों, न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालतों की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जायेगा।

शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के एक वैवाहिक मामले में यह फैसला सुनाया। इस मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत पत्नी और बेटे के लिये गुजारा भत्ते का सवाल उठाया गया था।

न्यायालय ने इस मामले में पहले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन और अनीता शिनॉय को अंतरिम गुजारा भत्ते के भुगतान के बारे में दिशा निर्देश तैयार करने मे मदद के लिये न्याय मित्र नियुक्त किया था।

Web Title: Court sets guidelines for payment of alimony in marital dispute cases

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