नयी दिल्ली, 16 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बिहार के औरंगाबाद में जिला न्यायाधीश दिनेश प्रधान पर अक्टूबर महीने में कथित रूप से हमला करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और आपराधिक अवमानना कार्यवाही के लिये दायर जनहित याचिका पर बुधवार को बिहार सरकार और उसके अधिकारियों को नोटिस जारी किये।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूति बी आर गवई और न्यायमूर्ति्र कृष्ण मुरारी की पीठ ने अधिवक्ता विशाल तिवारी की याचिका पर केन्द्र, बिहार के पुलिस महानिदेशक, औरंगाबाद जिले के पुलिस अधीक्षक और सब-इंसपेक्टर (एसआई) प्रणव, जिसने जिला न्यायाधीश पर कथित रूप से हमला किया था, को भी नोटिस जारी किये।
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने सभी प्रतिवादियों को जनहित याचिका पर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस याचिका में उच्च न्यायालय के दो पीठासीन न्यायाधीशों द्वारा इस घटना की जांच कराने का भी अनुरोध किया गया है।
इससे पहले, न्यायालय ने 26 नवंबर को याचिकाकर्ता तिवारी को जनहित याचिका में संशोधन कर उस पुलिस अधिकारी का नाम शामिल करने का निेर्देश दिया था जिस पर न्यायाधीश दिनेश प्रधान पर हमला करने का आरोप है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिका में संशोधन करे और उस पुलिस अधिकारी का नाम इसमें शामिल करे, जिस पर न्यायिक अधिकारी पर हमला करने का आरोप है। न्यायालय ने कहा था कि याचिकाकर्ता इस मामले में अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल कर सकता है।
विशाल तिवारी ने अपनी जनहित याचिका में आरोप लगाया है कि जिला न्यायाधीश प्रधान को बिहार पुलिस के एक एसआई ने 21 अक्टूबर को अपशब्द कहे, उन्हें धमकी दी और उन पर हमला किया गया।
याचिका के अनुसार शाम में हुई इस घटना के समय जिला न्यायाधीश प्रधान टहल रहे थे जब सीआरपीएफ कर्मियों के साथ चुनावी ड्यूटी पर तैनात एसआआई ने उनके साथ अभद्रता की।
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