नारायण साई को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने फर्लो दिए जाने के गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को खारिज किया

By भाषा | Updated: October 20, 2021 12:42 IST2021-10-20T11:30:19+5:302021-10-20T12:42:26+5:30

नारायण साई से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘फर्लो’ कोई पूर्ण अधिकार नहीं हैं और इसे देना कई बातों पर निर्भर करता है।

Court quashes Gujarat High Court's decision to grant Narayan Sai furlough | नारायण साई को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने फर्लो दिए जाने के गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को खारिज किया

नारायण साई को फर्लो दिए जाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार (फाइल फोटो)

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने स्वयंभू प्रवचनकर्ता आसाराम के बेटे एवं बलात्कार के दोषी नारायण साई को 14 दिन की ‘फर्लो’ दिए जाने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने साई को ‘फर्लो’ देने के अदालत के 24 जून के आदेश को चुनौती देने वाली गुजरात सरकार की याचिका स्वीकार कर ली थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘फर्लो’ कोई पूर्ण अधिकार नहीं हैं और इसे देना कई बातों पर निर्भर करता है। उसने कहा कि साई की कोठरी से एक मोबाइल फोन मिला था, इसलिए जेल अधीक्षक ने राय दी थी कि उसे ‘फर्लो’ नहीं दी जानी चाहिए।

न्यायालय ने साई को दो हफ्तों की फर्लो देने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश पर 12 अगस्त को रोक लगा दी थी। उसने गुजरात सरकार की याचिका पर नारायण साई को नोटिस दिया था। इस याचिका में उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गयी थी। न्यायालय ने अगले आदेश तक उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी।

उसने कहा था कि बंबई फर्लो एवं पैरोल नियम 1959 के नियम 3 (2) में यह प्रावधान है कि आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कैदी को सात वर्ष वास्तविक कैद की सजा पूरी करने के बाद ‘‘हर वर्ष’’ फर्लो पर रिहा किया जा सकता है। उच्च न्यायालय की एकल पीठ के 24 जून 2021 के आदेश में साई को दो हफ्तों के लिए फर्लो दी गयी थी, लेकिन खंडपीठ ने 13 अगस्त तक इस पर रोक लगा दी थी और इसके बाद राज्य ने 24 जून के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।

'फर्लो कोई पूर्ण अधिकार नहीं'

राज्य सरकार ने दलील दी थी कि नियमों और इस अदालत के आदेश के अनुसार भी ऐसा कहा गया है कि फर्लो कोई पूर्ण अधिकार नहीं है और इसे देना विभिन्न बातों पर निर्भर करता है। उसने कहा था कि साई और उसके पिता को बलात्कार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है और वे धन एवं बल के साथ काफी प्रभाव भी रखते हैं।

सूरत की एक अदालत ने साई को 26 अप्रैल 2019 को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 376 (दुष्कर्म), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120-बी (षड्यंत्र) के तहत दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनायी थी। साई और उसके पिता आसाराम के खिलाफ सूरत की रहने वाली दो बहनों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।

इसके बाद राजस्थान में एक लड़की के बलात्कार के आरोप में आसाराम को 2013 में गिरफ्तार किया गया था। सूरत की पीड़तों में से बड़ी बहन ने आसाराम पर आरोप लगाया था कि जब वह उसके अहमदाबाद आश्रम में रही थी, उस समय 1997 से 2006 के बीच आसाराम ने उसका यौन उत्पीड़न किया था।

छोटी बहन ने साई पर आरोप लगाया था कि जब वह 2002 से 2005 के बीच सूरत के जहांगीरपुरा इलाके में आसाराम के आश्रम में रही थी, तब उसने उसका यौन उत्पीड़न किया था। साई को दिल्ली-हरियाणा सीमा से 2013 में गिरफ्तार किया गया था।

Web Title: Court quashes Gujarat High Court's decision to grant Narayan Sai furlough

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