जानवरों की देखभाल में कमी के लिए अदालत ने एडब्ल्यूबीआई की खिंचाई की
By भाषा | Updated: November 29, 2021 17:06 IST2021-11-29T17:06:31+5:302021-11-29T17:06:31+5:30

जानवरों की देखभाल में कमी के लिए अदालत ने एडब्ल्यूबीआई की खिंचाई की
नयी दिल्ली, 29 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के दौरान बंद किए गए सर्कसों के जानवरों के बारे में कोई अता पता नहीं होने तथा बंदी जानवरों की देखभाल में लापरवाही दिखाने के लिए सोमवार को भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) को फटकार लगाई।
उच्च न्यायालय ने एडब्ल्यूबीआई के सचिव को नौ फरवरी को सुनवाई की अगली तारीख पर उसके सामने उपस्थित रहने और खामियों की व्याख्या करने का निर्देश दिया तथा अधिकारियों से देश में सर्कस में रखे गए सभी जानवरों के पते ठिकाने का खुलासा करते हुए एक हलफनामा दायर करने को कहा।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, “एडब्ल्यूबीआई द्वारा हमारे निर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। मामले में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हम भारत के भीतर चिड़ियाघरों द्वारा रखे गए जानवरों के कल्याण से चिंतित हैं जो महामारी के कारण पीड़ित हैं। बंदी जानवरों की देखभाल और ध्यान की कमी उनके लिए घातक साबित हो सकती है। ऐसा प्रतीत होता है कि एडब्ल्यूबीआई इस जरूरत के प्रति संवेदनशील नहीं है।”
अदालत ने कहा कि संबंधित प्राधिकरण होने के बावजूद, एडब्ल्यूबीआई को सर्कस में रखे गए जानवरों और वह किस स्थिति में रह रहे हैं, इसकी जानकारी नहीं है और यह बोर्ड की ओर से पूरी तरह से कर्तव्य की अवहेलना प्रतीत होती है।
पीठ ने चेतावनी दी कि वह अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने से नहीं हिचकेगी क्योंकि अधिकारी अदालत को हल्के में ले रहे हैं।
पीठ ने कहा कि अगर अधिकारी जानवरों की देखभाल नहीं करेंगे तो वे मर जाएंगे और मकसद नाकाम हो जाएगा।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।