न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया

By भाषा | Published: August 26, 2021 05:05 PM2021-08-26T17:05:55+5:302021-08-26T17:05:55+5:30

Court gives protection to suspended IPS officer of Chhattisgarh from arrest | न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया

न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया

उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी के निलंबित निदेशक को गिरफ्तारी से संरक्षण देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार बदलने पर राजद्रोह के मामले दायर करना एक ‘‘परेशान करने वाली प्रवृत्ति’’ है। अधिकारी के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार ने राजद्रोह और आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के दो आपराधिक मामले दर्ज कराए थे। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘देश में हालात दुखद हैं।’’ भारतीय पुलिस सेवा के 1994 बैच के अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह पर शुरुआत में आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया गया। वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर के आईजी रह चुके हैं। बाद में सरकार के खिलाफ षड़यंत्र रचने और शत्रुता को बढ़ाने देने में कथित संलिप्तता के आधार पर उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा भी दर्ज किया गया। पीठ ने राजद्रोह के मामले दायर करने की प्रवृत्ति पर नाखुशी जतायी। इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता एफ एस नरीमन ने सिंह की तरफ से दलीलें देते हुए कहा, ‘‘यह सज्जन अतिरिक्त पुलिस महानदिेशक (एडीजीपी) रह चुके हैं और पुलिस अकादमी के निदेशक रह चुके हैं तथा अब उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) के तहत कार्रवाई की गयी है।’’ प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को किसी भी मामले में सिंह को चार हफ्तों तक गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया। पीठ ने सिंह को जांच में एजेंसियों के साथ सहयोग करने के भी निर्देश दिए।पीठ ने कहा, ‘‘देश में यह बहुत परेशान करने वाली प्रवृत्ति है और पुलिस विभाग भी इसके लिए जिम्मेदार है...जब कोई राजनीतिक पार्टी सत्ता में होती है तो पुलिस अधिकारी उस (सत्तारूढ़) पार्टी का पक्ष लेते हैं। फिर जब कोई दूसरी नयी पार्टी सत्ता में आती है तो सरकार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करती है। इसे रोकने की आवश्यकता है।’’ न्यायालय ने सिंह की दो अलग-अलग याचिकाओं पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किये। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और राकेश द्विवेदी और वकील सुमीर सोढी ने दलीलें रखीं। सुनवाई की शुरुआत में नरीमन ने कहा कि पुलिस अधिकारी से हिरासत में पूछताछ का मुद्दा पैदा ही नहीं होता क्योंकि आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि अधिकारी को एक बार मौजूदा मुख्यमंत्री ने बुलाया था और पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद करने को कहा था। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सिंह की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह राज्य में पुलिस अकादमी के प्रमुख रहे हैं और ‘‘उनका आचरण देखिए, वह फरार रहे हैं।’’ रोहतगी ने कहा, ‘‘उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण जैसी कोई राहत नहीं देनी चाहिए।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम राजद्रोह मामले पर विचार करेंगे। यह बहुत ही परेशान करने वाली प्रवृत्ति है और पुलिस विभाग भी इसके लिए जिम्मेदार है...ऐसा मत कहिए कि आपका मुवक्किल (सिंह) निष्पक्ष था, आपके मुवक्किल ने पिछली सरकार के निर्देशों पर काम किया होगा।’’ हाल में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अधिकारी के खिलाफ राजद्रोह मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सिंह ने उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की।

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Web Title: Court gives protection to suspended IPS officer of Chhattisgarh from arrest

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