अदालत ने कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर डोज पर केंद्र से रुख स्पष्ट करने को कहा

By भाषा | Published: November 25, 2021 07:22 PM2021-11-25T19:22:41+5:302021-11-25T19:22:41+5:30

Court asks Center to clarify stand on booster dose of anti-Kovid-19 vaccine | अदालत ने कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर डोज पर केंद्र से रुख स्पष्ट करने को कहा

अदालत ने कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर डोज पर केंद्र से रुख स्पष्ट करने को कहा

नयी दिल्ली, 25 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह उन लोगों को बूस्टर खुराक देने पर अपना रुख स्पष्ट करे, जिन्हें कोविड​​​​-19 रोधी टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी हैं। अदालत ने कहा कि वह दूसरी लहर जैसी स्थिति नहीं चाहता।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि एक ओर पश्चिमी देश बूस्टर खुराक दिये जाने की वकालत कर रहे हैं, वहीं भारतीय विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इसका समर्थन करने के लिए कोई चिकित्सा साक्ष्य नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें विशेषज्ञों से जानने की जरूरत है। यह अर्थशास्त्र पर आधारित नहीं होना चाहिए। यह एक महंगा प्रस्ताव है (क्योंकि टीके काफी हद तक मुफ्त हैं)। (लेकिन) हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं जिसमें हम अत्यधिक रूढ़िवादी बने रहें और हम ऐसी स्थिति का सामना करें, जैसी हमने दूसरी लहर में की थी। हम अनुकूल मौके से हाथ धो सकते हैं।’’

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक बहुत ही गंभीर बात है। हम विशेषज्ञ नहीं हैं। लेकिन ऐसा कैसे है कि पश्चिमी देश बूस्टर डोज को प्रोत्साहित कर रहे हैं और हम उन लोगों को भी अनुमति नहीं दे रहे हैं जो यह चाहते हैं।’’ पीठ ने यह भी कहा कि टीका ले चुके व्यक्तियों में एंटीबॉडी का स्तर कुछ समय बाद कम हो जाता है जो अधिक आयु वालों और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों को ‘‘चिंतित’’ कर रहा है।

पीठ ने सवाल किया, ‘‘आईसीएमआर क्या कह रहा है, उनका क्या रुख है? यदि नहीं, तो कुछ आधार होना चाहिए। यदि आवश्यक है, तो आगे का रास्ता क्या है?’’ पीठ राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के प्रसार के दौरान दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

अदालत ने यह भी पूछा कि जिन टीकों की अवधि समाप्त होने वाली है, वे टीके कोविड-19 रोधी टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों को बूस्टर डोज के तौर पर क्यों नहीं दिए जा सकते?

अदालत ने आदेश दिया, ‘‘केंद्र सरकार टीके की बूस्टर खुराक लगाये जाने और (यदि आवश्यक समझा जाता है तो) इसके समय को लेकर एक हलफनामा दायर करे।’’

मामले को 14 दिसंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से पहले, अदालत ने केंद्र से बच्चों के टीकाकरण पर अपना रुख रिकॉर्ड में लाने को भी कहा।

केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया ने अदालत को बताया कि यह मुद्दा पहले से ही मुख्य न्यायाधीश की अदालत में लंबित है जहां केंद्र ने एक हलफनामा दायर करके बताया है कि बच्चों के टीकाकरण को पहले ही सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है और ट्रायल जारी है। पीठ ने कहा, ‘‘इसे यहां भी रखें।’’

न्याय मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता राज शेखर राव ने कहा कि बूस्टर डोज की दक्षता विशेषज्ञ की राय का विषय है और इस पर एक नीति लाना केंद्र पर निर्भर है।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने इस बात पर जोर दिया कि सही चीजें सही समय पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यूरोप के अधिकतर देशों और अमेरिका ने बूस्टर डोज देना पहले ही शुरू कर दिया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Court asks Center to clarify stand on booster dose of anti-Kovid-19 vaccine

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे