उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को आरएसएस के पूर्व विचारक के. एन. गोविंदाचार्य को ‘‘मिथ्या’’ सूचना देने के संबंध में वाट्सएप के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने को लेकर अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। वाट्सएप ने शीर्ष अदालत को कथित रूप से यह कहकर गुमराह किया था कि उसका डेटा ‘‘पूरी तरह इनक्रिप्टेड’’ है ।
गोविंदाचार्य ने ‘भारतीयों की बुनियादी गोपनीयता’ का उल्लंघन करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक, व्हाट्सअप और इजराइल की प्रौद्योगिकी कंपनी एनएसओ ग्रुप के खिलाफ एनआईए जांच की भी मांग की थी। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े और न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने गोविंदाचार्य की ओर से पेश वकील विकास सिंह को अपनी याचिका वापस लेने के लिए कहा।
इससे पहले वाट्सएप के वकील ने कहा कि इसी तरह की याचिकाएं शीर्ष अदालत के सामने लंबित हैं। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुनवाई के लिए नयी याचिका की जरूरत नहीं है। गोविंदाचार्य ने मिथ्या जानकारी देने के संबंध में वाट्सएप के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की मांग की थी ।