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चंडीगढ़: गुलाब के फूलों से खाली रोज गॉर्डन की जर्जर हालत देख पार्षदों ने पूछा- 25 लाख रुपये कहां गए?

By विशाल कुमार | Updated: September 26, 2021 15:38 IST

भाजपा पार्षद अरुण सूद ने अधिकारियों से पूछा कि जब हम बचपन में रोज गॉर्डन घूमने आते थे तो यह गुलाबों से भरा रहता था लेकिन आज ऐसा नहीं है. यह जर्जर हालत में है. कहां हैं वो 25 लाख रुपए जो मंजूर किए गए थे?

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ठळक मुद्देपार्षदों ने पूछा कि रोज गॉर्डन के अपग्रेडेशन के लिए जो 25 लाख रुपये मंजूर किए गए थे वे कहां गए?अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 के कारण नर्सरियां बंद थीं इसलिए नहीं हो सका पैसे का उपयोग.बगीचे को मेकओवर देने के लिए जो समिति गठित की गई थी, वह अपने गठन के बाद से एक बार भी नहीं मिली।

चंडीगढ़: बीते शनिवार को चंडीगढ़ नगर निगम के अधिकारियों के सामने तब समस्या खड़ी हो गई जब रोज गॉर्डन की जर्जर हालत पर सवाल उठाते हुए पार्षदों ने पूछ लिया कि रोज गॉर्डन के अपग्रेडेशन के लिए जो 25 लाख रुपये मंजूर किए गए थे वे कहां गए?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा पार्षद अरुण सूद ने अधिकारियों से पूछा कि जब हम बचपन में रोज गॉर्डन घूमने आते थे तो यह गुलाबों से भरा रहता था लेकिन आज ऐसा नहीं है. यह जर्जर हालत में है. कहां हैं वो 25 लाख रुपए जो मंजूर किए गए थे? और इसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया था?

इस पर हॉर्टिकल्चर शाखा के अधीक्षण अभियंता कृष्ण पाल सिंह ने बताया कि इसमें से 3 लाख रुपये रासायनिक उपचार के लिए सामान खरीदने के लिए थे जबकि शेष राशि पौधों के लिए थी. कोविड-19 के कारण नर्सरियां बंद थीं, इसलिए...

हालांकि, पार्षद उनके बयान से संतुष्ट नहीं हुए.

सूद ने आगे पूछा कि क्या आज तक समिति की कोई बैठक हुई है? हालांकि, उन्हें कोई जवाब नहीं मिल सका.

इसके बाद पार्षदों ने पूछा कि क्या उस पैसे का उपयोग किया गया है तो अधिकारियों ने उन्हें पैसे का उपयोग नहीं किए जाने की जानकारी दी. इस पर पार्षदों ने पैसे का उपयोग न किए जाने पर आश्चर्य जताया.

बगीचे को मेकओवर देने के लिए जो समिति गठित की गई थी, वह अपने गठन के बाद से एक बार भी नहीं मिली।

कमिश्नर अनिंदिता मित्रा ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है और एक्जीक्यूटिव एंजीनियर प्रभारी से लिखित में पूछा जाए कि अब तक कोई बैठक क्यों नहीं बुलाई गई.

हालांकि, इस बैठक में रोज फेस्टिवल मनाने के लिए 87 लाख रुपये के बजट को पास करने का प्रस्ताव आया था जिसे पास कर दिया गया. हालांकि, यह तय किया गया कि उस समय कोविड की स्थिति के अनुसार उत्सव का आयोजन बाद में होगा.

बता दें कि, रोज गॉर्डन साल 1967 में बना था। चंडीगढ़ के पहले कमिश्नर डॉ. एमएस रंधावा ने इसका नामकरण किया था। लगभग 42.25 एकड़ में फैले रोज गार्डन में 800 के करीब गुलाब की किस्में हैं। रोज कई माली इसकी देखभाल करते हैं। एशिया का सबसे बड़ा रोज गार्डन होने का रुतबा इसे मिला है।

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