नई दिल्लीः कोरोना की तीसरी लहर भारत में दूसरी लहर की तुलना में 60 फीसदी अधिक घातक साबित हो सकती है।
लंदन के जॉन रेडक्लिफ अस्पताल के डॉक्टर अमित ने कहा कि तीसरी लहर बच्चों पर सबसे अधिक प्रभाव डालेगी, लेकिन वह प्राण घातक नहीं होगी। उनका मानना था कि डेल्टा वेरिएंट अन्य वेरिएंट की तुलना में तेजी से फैलता है और बच्चों को प्रभावित करता है। नतीजा बच्चे इस वेरियंट को फ़ैलाने में बड़े करियर बन सकते हैं।
ऐसे संक्रमित बच्चे परिवार के बुजुर्गों तथा अन्य सदस्यों को संक्रमित कर सकते हैं। इससे बचने के लिये अपने साथ साथ बच्चों के बहार निकलने पर कड़ा अंकुश लगाना होगा और कोविड प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करना होगा। उनका तर्क था कि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होने के कारण यह लहर बच्चों के लिये प्राण घातक नहीं होगी।
डॉक्टर अमित मानते हैं कि अनलॉक प्रक्रिया के दौरान भारत को कड़ाई से नियम लागू कराने की ज़रूरत है। बिना मास्क ,पर्याप्त दूरी और बहुत आवश्यक न हो तब तक घर से बाहर निकलना खतरनाक साबित हो सकता है।
उत्तर प्रदेश डॉक्टर एशोसियशन के पूर्व अध्यक्ष और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर के सी सूद ने बातचीत करते हुये कहा कि तीसरी लहर हृदय रोगियों के लिये ज्यादा खतरनाक हो सकती है, इससे बचाव के लिये जितनी जल्दी हो सके वैक्सीन की दोनों डोज़ ले लेनी चाहिये।
एक डोज़ बचाव के लिये पर्याप्त नहीं है। डॉक्टर सूद का स्पष्ट मानना था कि वैक्सीन की एक डोज़ डेल्टा वेरियंट से बचाव नहीं कर सकती। ब्रिटेन का उदाहरण देते हुये उन्होंने बताया कि डेल्टा वेरियंट के कारण 40 हज़ार लोग संक्रमित अभी तक हो चुके हैं और अभी भी उसका कहर जारी है।
हमारे यहां अनलॉक के बाद सबकुछ खुल चुका है और लोग खुले तौर पर लापरवाही वरत रहे हैं ,यही हालात तीसरी लहर को आमंत्रण देंगे ,प्रशासन को चाहिये कि वह कड़ाई बरते ताकि लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने को विवश हों।