Coronavirus Global: 31 अगस्त को हटेंगे डब्ल्यूटीओ प्रमुख रॉबर्टो एजेवेदो, एक साल पहले ही पद छोड़ रहे हैं, डोनाल्ड ट्रंप का दबाव
By भाषा | Updated: May 15, 2020 14:45 IST2020-05-15T14:45:55+5:302020-05-15T14:45:55+5:30
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) प्रमुख रॉबर्टो एजेवेदो 31 अगस्त को पद छोड़ देंगे। कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका ने कई हमले किए। यहां तक की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का खासा दवाब भी था।

ट्रंप का कहना है कि जिनेवा स्थिति व्यापार संगठन का अमेरिका को लेकर रुख पक्षपातपूर्ण है। (file photo)
नई दिल्लीः विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने बृहस्पितवार को कहा कि उसके प्रमुख रॉबर्टो एजेवेदो 31 अगस्त को पद से हट जाएंगे। वह व्यक्तिगत कारणों से अपना पद कार्यकाल समाप्त होने से एक साल पहले छोड़ रहे हैं।
भारत जिनेवा स्थित विश्व व्यापर निकाय के संस्थापक सदस्यों में से एक है। डब्ल्यूटीओ को वैश्विक निर्यात और आयात के लिये नियम बनाने की जिम्मेदारी मिली हुई है। डब्ल्यूटीओ ने एक बयान में कहा, ‘‘संगठन के सभी सदस्यों की एक बैठक में (वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये) राबर्ट ऐजेवेदो ने घोषणा की कि वह 31 अगस्त को पद से हट जाएंगे।’’
वह अपना दूसरा कार्यकाल समाप्त होने से ठीक एक साल पहले पद छोड़ रहे हैं।’’ ऐजेवेदो ने कहा कि समय से पहले उनके जाने की सूचना से सदस्य देश उनके उत्तराधिकारी का चयन कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत फैसला है। एजेवेदो ने कहा, ‘‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि इसका कारण कोई स्वास्थ्य का मसला नहीं है...न ही मैं कोई राजनीतिक अवसर देख रहा हूं।’
डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक ऐसे समय पद छोड़ रहे हैं जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का उन पर खासा दबाव है। ट्रंप का कहना है कि जिनेवा स्थिति व्यापार संगठन का अमेरिका को लेकर रुख पक्षपातपूर्ण है।
भारत में विदेशी निवेश के नए नियमों से डब्ल्यूटीओ का कोई उल्लंघन नहीं हुआ: विशेषज्ञ
विशेषज्ञों ने भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में ताजा संशोधन पर चीन की आपत्तियों को खारिज किया है। उनका कहना है कि इस समय जो आर्थिक संकट है, उसमें अपने उद्योगों को बचाना प्रत्येक देश के अधिकार क्षेत्र में आता है और भारत ने डब्ल्यूटीओ का कोई उल्लंघन नहीं किया है। इसस पहले भारत में चीन के दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि नए नियम डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) के सिद्धांतों और मुक्त व्यापार के सामान्य चलन के विरुद्ध हैं।
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्राचार्य विश्वजित धर ने कहा, ‘ डब्ल्यूटीओ में एफडीआई को लेकर कोई समझौता हुआ ही नहीं है। इस संगठन के नियम निवेश संबंधी मुद्दों पर लागू नहीं होते। इस लिए भारत अपने उद्योगों के हित में ऐसे निर्णय करने का पूरा अधिकार रखता है।’ उन्होंने कहा कि निवेशकों के बारे में डब्ल्यूटीओं में जो भी प्रावधान हैं निर्यात और आयात से जुड़े हैं। इस संबंध में उन्होंनें निर्यात में स्थानीय सामग्री की शर्त का उदाहरण दिया। भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी ने कहा, ‘भारत आपने आप ही आपनी एफडीआई नीति उदार करता रहा है। अपने उद्योग को बचाने का कोई निर्णय डब्ल्यूटीओ के दायरे में नहीं आता।’
जोशी ने कहा यह संकट का समय है इसमें भारत को अपने उद्योग को बचाने का फैसला करने की जरूरत है। फिंडाक समूह के वरिष्ठ निवेश सलाहकार सुमित कोचर ने कहा कि भारत सरकार का यह नीतिगत निर्णय जवाबी है क्यों कि चीन के केंद्रीय बैंक ने इससे पहले भारत की वित्तीय सेवा कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कार्पोरेशन (एचडीएफसी) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा कर एक प्रतिशत से कुछ अधिक कर ली है। उन्होंने कहाकि नए नियमों से चीनी निवेशकों पर भारतीय कंपनियों के शेयर आगे किसी भी समय खरीदने में एक रुकावट आ सकती है।
इससे भारत में भाविष्य में विदेशी निवेश प्रभावित हो सकता है।’ सरकार ने शनिवार को एफडीआई नियमों संशोधन कर भारत की थल सीमा से जुड़े देशों से प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से निवेश के हर प्रस्ताव पर पहले सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है। यह निर्णय कोविड-19 से पैदा हालात में भारतीय कंपनियों को अवसरवादी अधिग्रहण के प्रयासों से बचाना है।
भारत ने कुछ एक प्रतिबंधित क्षेत्रों को छोड़ कर बाकी उद्योगों में निवेश को स्वत: स्वीकृत मार्ग से खोल दिया है। इस मार्ग से विदेशी निवेशक को सरकार के किसी विभाग से अनुमति लेने के बजाय केवल भारतीय रिजर्व बैंकों निवेश की सूचना करने मात्र की जरूरत होती है ताकि निवेश सरल हो।