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Coronavirus का डर: नोटों के जरिए कोरोना से हो सकते हैं संक्रमित, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब बैंकों को दी ये सलाह

By भाषा | Updated: March 9, 2020 19:09 IST

डब्ल्यूएसओ के मुताबिक देश में नोटबंदी के दौरान भी यह देखा गया कि हजारों बैंक कर्मचारी संक्रमण से पीड़ित हुए थे।

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ठळक मुद्दे शोधकर्ताओं ने विभिन्न स्रोतों जैसे ऑटो-रिक्शा चालक, मेडिकल स्टोर, विक्रेताओं आदि से मुद्रा नोटों और सिक्कों को एकत्रित किया और उन्हें बैक्टीरिया और वायरस से लैस पाया। शोधकर्ताओं ने सूक्ष्म जीव विज्ञान और फुफ्फुसीय चिकित्सा में विशेषज्ञों को शामिल किया।

नयी दिल्ली: दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस फैलने के बीच बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ी एक संस्था ने कहा है कि लोगों को लेनदेन में करेंसी नोट के बजाय डिजिटल तौर तरीकों से भुगतान करना चाहिये। ‘वायस आफ बैंकिंग’ संगठन ने यह सुझाव देते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के हवाले से कहा है कि डब्ल्यूएचओ ने भी लोगों को सलाह दी है कि वे बैंक नोट के उपयोग से बचें और भुगतान के लिय अन्य डिजिटल भुगतान तरीकों का उपयोग करने का प्रयास करें।

संगठन के मुताबिक देश में नोटबंदी के दौरान भी यह देखा गया कि हजारों बैंक कर्मचारी संक्रमण से पीड़ित हुए थे। संगठन ने कहा है कि बैंक प्रबंधन को कर्मचारियों की सुविधा के लिये पर्याप्त मात्र में हैंड सैनिटाइज़र उपलब्ध कराने चाहिये। ‘वायस आफ बैंकिंग’ ने कहा है कि बैंक नोट्स छूने के बाद ग्राहकों को अपने हाथ धोने चाहिए। बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए, लोगों को जहां तक संभव हो, संपर्क रहित तकनीक यानि डिजिटल भुगतान तरीकों का उपयोग करना चाहिए।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन का हवाला देते हुये संगठन ने कहा है कि मुद्रा नोट और सिक्के संक्रमण का एक स्रोत हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने विभिन्न स्रोतों जैसे ऑटो-रिक्शा चालक, मेडिकल स्टोर, विक्रेताओं आदि से मुद्रा नोटों और सिक्कों को एकत्रित किया और उन्हें बैक्टीरिया और वायरस से लैस पाया। हालांकि, संक्रमण के इस स्रोत को रोग निवारण प्रोटोकॉल में अच्छी तरह से संबोधित नहीं किया गया है।,"

केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख लेखक डॉ सुनीता सिंह ने कहा "हमारे परिणामों से पता चला है कि मुद्रा रोगाणुओं से दूषित है और यह संदूषण एंटीबायोटिक प्रतिरोधी या संभावित हानिकारक जीवों के संचरण में भूमिका निभा सकती है। शोधकर्ताओं ने सूक्ष्म जीव विज्ञान और फुफ्फुसीय चिकित्सा में विशेषज्ञों को शामिल किया। 

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