गुरुग्राम:हरियाणा के पलवल जिले में कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित अब तक 28 मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन सबसे हैरानी वाली बात ये है कि यहां मौजूद एकलौते सिविल अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए एक भी वेंटिलेटर नहीं है। ऐसी स्थिति में अस्पताल के डॉक्टरों को जबरन गंभीर मरीजों को मेवात भेजना पड़ रहा है।
हालांकि, मेवात की स्थिति भी अच्छी नहीं हैं। मेवात में देश की 37 लाख जनसंख्या रहती है। मगर इसके बाद भी जिले के नागिरक अस्पताल में सिर्फ 215 आइसोलेशन बेड मौजूद हैं, जबकि यहां अब तक 38 कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पलवल के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ ब्रहम दत्त का इस मामले में कहना है कि हमें जिन चीजों की कमी थी, हम उसके बारे में पहले ही राज्य सरकार को बता चुके हैं। हमें वेंटिलेटर के साथ-साथ जनरल फिजीशियन की जरुरत थी। हालांकि, सरकार ने वादा किया था कि हमें कुछ ही दिनों में एक जनरल फिजीशियन ज्वाइन करने वाला है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है और हम अभी भी डॉक्टर का इंतजार कर रहे हैं। डॉ दत्त ने ये भी बताया कि उन्हें 15 डॉक्टरों और नर्सों की जरुरत है। मगर ये पद अभी तक खाली पड़े हैं।
अपनी बात को जारी रखते हुए डॉ ब्रहम दत्त ने कहा कि पलवल के सरकारी अस्पताल में 60 बेडों का आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है। हर बेड पर ऑक्सीजन पल्स ऑक्सीमीटर की सुविधा भी मौजूद है, लेकिन हम गंभीर मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं क्योंकि कोरोना से संक्रमित मरीजों को बेहतर वेंटिलेटर की जरुरत होती है, जोकि हमारे पास नहीं है। ऐसे में ये बीमारी न फैले, इसके लिए हम मरीजों को नल्लहड़ के कोविड-19 अस्पताल में रेफर कर रहे हैं। पलवल के पास पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंटस) मौजूद हैं, लेकिन वेंटिलेटर और डॉक्टरों की भारी कमी की वजह से यहां मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है।
आपको बताते चलें कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी, तब पलवल में सिर्फ एक ही मामला सामने आया था, जोकि ठीक हो चुका था। मगर जैसे ही निजामुद्दीन मरकज से लौटे सदस्यों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का मामला सामने आया, तब यहां भी कोविड-19 (COVID-19) के मरीजों की संख्या इजाफा हो गया। अब पलवल में हालात ऐसे हैं कि यहां 28 मामले तो कोरोना पॉजिटिव हैं ही, जबकि कई मामलों की रिपोर्ट आनी बाकी है।