विदेशों में फंसे भारतीयों को तो देश में लाने के लिए केन्द्र सरकार ने सतर्कता दिखाई, लेकिन देश के ही विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई, जिसके नतीजे में हजारों लोगों को सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर अपने घर जाना पड़ा.
दक्षिण राजस्थान के लाखों मजदूर गुजरात में काम करते हैं और गुजरात के आर्थिक विकास में उनका भी बहुत बड़ा योगदान है, क्योंकि ये गुजरात के स्थानीय मजदूरों के मुकाबले काफी सस्ते हैं, लेकिन कोरोना के कारण लाॅक डाउन होने पर केन्द्र और गुजरात सरकार ने इन मजदूरों को बेसहारा छोड़ दिया.
ये हजारों मजदूर अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा आदि शहरों से पैदल चल कर दक्षिण राजस्थान के उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा आदि जिलों में अपने-अपने गांव पहुंचे.
रास्ते में भी उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि एक तो हाईवे की ज्यादातर दुकाने बंद थी, इसलिए खाने-पीने का सामान ही नहीं मिला, और दूसरा- इनके पास पर्याप्त पैसे भी नहीं थे. वे लोग सबसे ज्यादा परेशान हुए जिनके पास सामान था और साथ में छोटे बच्चे भी थे.