Coronavirus Lockdown: नाच गाकर गुजारा करने वाले किन्नरों को नहीं सूझ रहा कोई रास्ता, गहराया आजीविका का संकट

By गुणातीत ओझा | Updated: April 25, 2020 14:59 IST2020-04-25T14:59:57+5:302020-04-25T14:59:57+5:30

मांगलिक कार्यों के दौरान अक्सर लोगों के घरों में जा कर नाचने गाने और आशीर्वाद देकर आजीविका कमाने वाले किन्नर, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान रोजी-रोटी के संकट का सामना कर रहे हैं।

Coronavirus Lockdown: There is no way of income for eunuchs deepen their livelihood crisis | Coronavirus Lockdown: नाच गाकर गुजारा करने वाले किन्नरों को नहीं सूझ रहा कोई रास्ता, गहराया आजीविका का संकट

लॉकडाउन में किन्नरों के सामने रोजी-रोटी का संकट।

Highlightsमांगलिक कार्यों के दौरान अक्सर लोगों के घरों में जा कर नाचने गाने और आशीर्वाद देकर आजीविका कमाने वाले किन्नर लॉकडाउन से परेशानकोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान रोजी-रोटी के संकट का सामना कर रहे हैं।

प्रयागराज। मांगलिक कार्यों के दौरान अक्सर लोगों के घरों में जा कर नाचने गाने और आशीर्वाद देकर आजीविका कमाने वाले किन्नर, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान रोजी-रोटी के संकट का सामना कर रहे हैं। किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर (उत्तर भारत) टीना मां ने बताया ‘‘ देश भर में किन्नरों की संख्या लगभग 35 लाख है। इनमें से कई तो नौकरीपेशा हैं। जो किन्नर नाच गा कर गुजारा करते हैं, उनके समक्ष तो लॉकडाउन के कारण आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।’’

उन्होंने कहा ‘‘कई किन्नरों का उनके आधार कार्ड में उल्लेख महिला के तौर पर है और वे इसे थर्ड जेंडर में परिवर्तित नहीं करा सकी हैं। इससे वे सरकार द्वारा दी जा रही सहायता राशि से वंचित हैं।’’ उन्होंने मांग की कि सरकार को एक विशेष अभियान चलाकर ऐसे किन्नरों को उनके आधार कार्ड में लिंग परिवर्तन का अवसर देना चाहिए जिससे वे इस लॉकडाउन में सरकारी मदद का लाभ उठा सकें। ‘‘प्रशासन से भी किन्नर समाज के प्रति मदद का हाथ बढ़ाने का अनुरोध है।’’

एक अन्य किन्नर शिवानी ने बताया कि लॉकडाउन के चलते उनके समक्ष भरण पोषण की समस्या पैदा हो गई है। उन्होंने कहा ‘‘सरकार को इस मुश्किल घड़ी में किन्नर समाज पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।’’ किन्नर अखाड़ा से जुड़ी शोभा रानी ने बताया ‘‘लॉकडाउन की शुरुआत में समय काटना मुश्किल था, लेकिन फिर इसकी आदत हो गई। हालांकि नाचने गाने की दिनचर्या नहीं होने से कमाई भी ठप है।’’

टीना मां ने कहा “लॉकडाउन की वजह से मैं और मेरे शिष्य घर पर ही हैं और पूरा समय हमने अपने गुरू अंजली राय के साथ बिताया । गुरु ने हमें पुराने और विलुप्त हो रहे सोहर गीत, मंगल गीत, भजन कीर्तन आदि सिखाए। उम्मीद है कि लॉकडाउन खुलने पर यह सीख हमारे काम आएगी। आम दिनों में आजीविका की खातिर व्यस्त रहने वाले किन्नरों के पास यह सब सीखने का समय नहीं रहता।’’

Web Title: Coronavirus Lockdown: There is no way of income for eunuchs deepen their livelihood crisis

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