Coronavirus Lockdown: तीन मई के बाद भी बढ़ सकता है लॉकडॉउन, लेकिन मिलेंगी कुछ नई रियायतें
By शीलेष शर्मा | Updated: April 27, 2020 17:21 IST2020-04-27T17:15:53+5:302020-04-27T17:21:47+5:30
भारत में कोरोना संकट से निपटने के लिये घोषित 40 दिन के लॉकडाउन के अंतिम सप्ताह में प्रवेश करने पर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना के खिलाफ देशव्यापी अभियान को जारी रखने के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर भी समान रूप से ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया।

3 मई के आगे लॉक डॉउन को ज़ारी रखने पर सरकार आर्थिक गतिविधियों को ज़ारी रखने के लिये नई रियातों की घोषणा कर सकती है
नई दिल्ली: तीन मई को समाप्त होने वाले लॉक डॉउन की अवधि आगे बढ़ाये जाने पर केंद्र सरकार गंभीरता से विचार कर रही है, सूत्रों के अनुसार 3 मई के आगे लॉक डॉउन को ज़ारी रखने पर सरकार आर्थिक गतिविधियों को ज़ारी रखने के लिये नई रियातों की घोषणा कर सकती है ,सरकार की इस सोच का खुलासा आज 3 घंटे चली प्रधानमंत्री मोदी की मुख्य मंत्रियों से चर्चा के बाद पांडुचेरी के मुख्य मंत्री वी नारायणसामी ने किया।
राज्यों की भाजपा सरकारों को छोड़ कर शेष राज्यों के मुख्यमंत्री चाहते थे कि दम तोड़ती अर्थव्यबस्था को ऑक्सीजन देने के लिये ज़रूरी है कि लॉकडॉउन के दौरान कुछ प्रतिबंधों के साथ वाणिज्यिक गतिविधियों को शुरू किया जाय, मुख्यमंत्री नारायणसामी ने प्रधानमंत्री मोदी को दो टूक कहा कि राज्यों के पास कॅरोना कि जंग जीतने के लिये न तो पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट हैं ,न वेंटिलेटर ,मॉस्क तथा अन्य सुरक्षा सामग्री। एक्ससाईज और जीएसटी से प्राप्त होने वाला राजस्व लॉक डॉउन के कारण आना पूरी तरह बंद है ,केंद्र से आर्थिक सहायता मिल नहीं रही ,केंद्र जीएसटी की वाकया राशि का भी भुगतान नहीं कर रहा ,ऐसे हालातों में राज्य सरकारें कैसे यह जंग जीतें।
वी नारायणसामी की बातों का बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार सहित अन्य राज्यों के मुख्य मंत्रियों ने खुल कर समर्थन किया। नारायणसामी ने प्रवासी मज़दूरों को उनके घरों पर भेजे जाने का भी मुद्दा उठाया और दलील दी कि उनके पास लॉक डॉउन के कारण न पैसा है न रोज़गार ,न रोटी फिर उनको कैसे रोका रखे जा सकता है ,इसलिये ज़रूरी है कि केंद्र योजना बना कर ऐसे मज़दूरों को उनके गंतव्य तक भेजने की व्यबस्था करे। बैठक में कोटा छात्रों के साथ अन्य राज्यों फंसे लोगों और विदेश में काम करने वाले लोगों को स्वदेश लाये जाने का भी मुद्दा इन मुख्यमंत्रियों ने जोर शोर से उठाया लेकिन भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री खामोश थे।
राज्यों की खस्ताहाल होती अर्थ व्यबस्था का मुद्दा भी बैठक में छाया रहा ,कांग्रेस तथा गैर भाजपा मुख्य मंत्रियों ने राज्यों को विशेष आर्थिक पैकेज़ देने के साथ साथ आरबीआई से राज्यों को मिलने वाले ऋण की सीमा को 3 फ़ीसदी से बढ़ाकर 5 फ़ीसदी किया जाये ,राज्यों को आरबीआई अग्रिम भुगतान देने की व्यबस्था करे जो ब्याज़ मुक्त हो।