कोविड-19ः वायु प्रदूषण बढ़ाता है कोरोना, मौत का खतरा, खुलासा- बेंगलुरु में 6300 लोग मरे, अर्थव्यवस्था को 6,973 करोड़ का झटका
By भाषा | Published: July 9, 2020 09:12 PM2020-07-09T21:12:07+5:302020-07-09T21:12:07+5:30
कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया था। लेकिन अध्ययन में खुलासा हुआ कि छह महीनों में हुई 6,300 लोगों की मौत वायु प्रदूषण से जुड़ी है। बेंगलुरु शहर की सालाना जीडीपी में 3.7 फीसदी की गिरावट आई है।
बेंगलुरुः एक नए अध्ययन में पता चला है कि कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये लॉकडाउन को कड़ाई से लागू किए जाने के बावजूद बेंगलुरु में 2020 के पहले छह महीनों में हुई 6,300 लोगों की मौत वायु प्रदूषण से जुड़ी है।
साथ ही इससे शहर की सालाना जीडीपी में 3.7 फीसदी की गिरावट आई है। आईक्यूएयर एयरविजुअल और ग्रीनपीस-दक्षिण पूर्वी एशिया के नए ऑनलाइन टूल के अनुसार शोध में सामने आया है कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से कोविड-19 की चपेट में आने और मौत का खतरा बहुत अधिक है।
दोनों संगठनों ने एक बयान में दावा किया, ‘‘कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये सख्ती से लॉकडाउन लागू किये जाने के बावजूद बेंगलुरु में 2020 की पहली छमाही में अनुमानत: 6,300 लोगों की मौत वायु प्रदूषण से जुड़ी है।’’ बयान में कहा गया कि यह भी पता चला है कि वायु प्रदूषण ने पिछले छह महीनों में शहर की अर्थव्यवस्था को लगभग 6,973 करोड़ रुपये का झटका दिया है, जो कि बेंगलुरु की कुल वार्षिक जीडीपी के 3.7 फीसदी के बराबर है।
संयुक्त राष्ट्र: अगले पांच साल में बढ़ सकता है 1.5 डिग्री तापमान
संयुक्त राष्ट्र की मौसम विज्ञान एजेंसी ने बृहस्पतिवार को कहा कि आने वाले पांच वर्ष में औसत वैश्विक तापमान पहली बार पूर्व-औद्योगिक औसत स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फॉरनहाइट) अधिक हो सकता है। उल्लेखनीय है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस वह स्तर है जिस पर विभिन्न देशों ने ‘ग्लोबल वार्मिंग’ को सीमित करने की कोशिश करने के लिए सहमति जतायी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया भर में औसत तापमान 1850-1900 की अवधि की तुलना में पहले ही कम से कम एक डिग्री सेल्सियस अधिक है।
इसका कारण मानव निर्मित ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने कहा कि 20 प्रतिशत संभावना है कि 2020 से 2024 के बीच कम से कम एक वर्ष 1.5 डिग्री सेल्सियस स्तर तक पहुंच जाएगा। इस अवधि में वार्षिक औसत तापमान पूर्व औद्योगिक औसत से 0.91 से 1.59 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने का अनुमान है। यह पूर्वानुमान ब्रिटेन के मौसम विज्ञान कार्यालय की पहल पर तैयार किए गए ‘वार्षिक जलवायु पूर्वानुमान’ में शामिल है।
डब्ल्यूएमओ प्रमुख पेट्री तालस ने कहा कि अध्ययन से पता चलता है कि 2015 के पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने में देशों के समक्ष भारी चुनौती है। समझौते में ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का लक्ष्य रखा गया है जो आदर्श रूप से 1.5 डिग्री से अधिक नहीं है।
एजेंसी ने कहा कि पूर्वानुमान के लिए उपयोग किए जाने वाले तौर-तरीकों में कोरोना वायरस महामारी के कारण पड़ने वाले प्रभावों पर विचार नहीं किया गया है। इस महामारी के कारण कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों के उत्सर्जन में कमी आ सकती है। उन्होंने कहा, "कोविड-19 के कारण औद्योगिक और आर्थिक मंदी सतत और समन्वित जलवायु कार्रवाई के लिए विकल्प नहीं है।"