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कंटेनमेंट जोन तक सिमटेगा लॉकडाउन, मोदी सरकार लॉकडाउन 5.0 को लेकर असमंजस में, मेट्रो, धार्मिक स्थल, रेस्टोरेंट, मॉल खोलने का दबाव

By हरीश गुप्ता | Updated: May 30, 2020 08:15 IST

कोरोना संकटः मोदी सरकार पर शॉपिंग मॉल, रेस्टारेंट, खाने-पीने की जगहों, धार्मिक स्थलों को कड़े फिजिकल डिस्टेंसिंग नियमों के साथ खोलने के भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है.

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ठळक मुद्दे लॉकडाउन को पांचवां विस्तार देने को लेकर केंद्र सरकार असमंजस की स्थिति में है. कोरोना वायरस के मामलों में भारत नौवें स्थान पर आ चुका है और मौतों में भी चिंताजनक गति से वृद्धि हो रही है.

नई दिल्ली: लॉकडाउन को पांचवां विस्तार देने को लेकर केंद्र सरकार असमंजस की स्थिति में है. कोरोना वायरस के मामलों में भारत नौवें स्थान पर आ चुका है और मौतों में भी चिंताजनक गति से वृद्धि हो रही है. पिछले दो दिनों में बैठकों के अनवरत सिलसिले के साथ लॉकडाउन 5.0 पर हर स्तर पर गहन मंथन चल रहा है. सरकार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सुझावों का इंतजार है कि लॉकडाउन 5.0 में किन सुविधाओं को खोला जाए और किन्हें बंद का बंद ही रखा जाए.

बैठकों के दौर का अंत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बीच वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में बैठक के साथ शुक्रवार को हुआ. बैठकों के दौर के बाद मिले सुझावों को प्रधानमंत्री के लॉकडाउन से संबंधित टास्क फोर्स के प्रमुख व गृह सचिव अजय भल्ला अंतिम रूप दे रहे हैं. सबसे अहम सुझाव के मुताबिक रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन्स को खत्म करके लॉकडाउन को केवल कंटेनमेंट जोन्स तक ही सीमित कर दिया जाना चाहिए. ऊपरी तौर पर आसान दिखने वाला यह रास्ता मुश्किलों भरा है क्योंकि राजधानी दिल्ली में ही 92 कंटेनमेंट जोन्स हैं जबकि मुंबई के 96 फीसदी कंटेंनमेंट जोन्स झुग्गी बस्तियों और चॉल में फैले हुए हैं.

कैबिनेट सचिव राजीव गॉबा ने गुरुवार को जिन 13 शहरों की स्थिति की समीक्षा की थी, वहां का भी तकरीबन यही हाल है. विशेषज्ञ कहते हैं विशेषज्ञों की राय में सरकार ने रेलवे और हवाई यात्रा में फिजिकल डिस्टेंसिंग के तय मापदंडों की स्पष्ट अनदेखी की. पैसेंजर ट्रेनों के पूरी क्षमता से चलने और विमानों में बीच की सीट खाली नहीं रखने के बाद महामारी के पीडि़तों की संख्या तो बढ़नी ही थी. शराब की दुकानों, बाजारों, दफ्तरों को खोलने और वाहनों की बड़ी संख्या में आवाजाही ने स्थिति को और बिगाड़ दिया. प्रवासी मजदूरों की यात्रा और सरकार की ओर से दी गई ढील का प्रभाव तो अभी स्पष्ट होना बाकी है.

सरकार पर अभी है और दबाव

सरकार पर शॉपिंग मॉल, रेस्टारेंट, खाने-पीने की जगहों, धार्मिक स्थलों को कड़े फिजिकल डिस्टेंसिंग नियमों के साथ खोलने के भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है. अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए यह बहुत जरुरी है. 31 मई को 69 दिन का चार चरण का लॉकडाउन खत्म होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था कड़े लॉकडाउन के विस्तार को नहीं झेल पाएगी. प्रधानमंत्री खुद कह चुके हैं कि लोगों को अब कोरोना के साथ जीना सीखना होगा.

मृत्यु दर कम ही रहेगी

विशेषज्ञों की राय में भारत कोरोना महामारी से पीडि़तों की संख्या में तेजी से उछाल के बाद जल्द ही छठे नंबर पर आ जाएगा. हालांकि मौत के मामले 3 प्रतिशत से नीचे ही स्थिर रहेंगे. लेकिन अगर प्रतिबंधों को उठाकर केवल कंटेनमेंट जोन तक ही सीमित किया जाता है तो यह अनुमान गड़बड़ा सकता है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विचार जानने का काम अपने सबसे भरोसेमंद सिपाहसालार अमित शाह को सौंपा और केंद्र की ही सर्वोपरि भूमिका रखने की नीति को छोड़ते हुए राज्यों को ज्यादा अधिकार देने का फैसला किया.

शाह ने राज्यों की चिंताएं जानीं

गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्रियों के साथ टेलीफोन पर बातचीत में राज्यों की चिंताएं जानीं और यह भी पूछा कि एक जून से वह किन क्षेत्रों को खोलना चाहते हैं? लॉकडाउन के हर चरण के विस्तार से पहले खुद मोदी ने मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संपर्क साधा था. इस मर्तबा गृह मंत्री ने लॉकडाउन के एक और चरण की समाप्ति से पहले मुख्यमंत्रियों के साथ अलग-अलग बातचीत की. मुख्यमंत्रियों की राय समझा जाता है कि अधिकतर मुख्यमंत्री चाहते हैं कि लॉकडाउन किसी न किसी रूप में जारी रहे. साथ ही उन्होंने आर्थिक गतिविधियां बहाल करने और सामान्य जनजीवन चरणबद्ध तरीके से पटरी पर लौटने का पक्ष लिया है.

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