कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार और लॉकडाउन के चलते आर्थिक संकट गहाराता जा रहा है। कोरोना संकट की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाए रखने के क्रम में आज गुरुवार को सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। वित्त मंत्रालय ने घोषणा की है कि केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई भत्ता नहीं मिलेगा। कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर एक जुलाई 2021 तक यह रोक जारी रहेगी।
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आदेश के अनुसार, कोरोना वायरस के संकट की वजह से 1 जनवरी, 2020 के बाद से केंद्रीय कर्मचारी या पेंशनधारी को मिलने वाला महंगाई भत्ता नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं 1 जुलाई 2020 से कर्मचारियों व पेंशनधारियों को मिलने वाले अतिरिक्त महंगाई भत्ते पर भी रोक लगा दी गई है। महंगाई भत्ते पर सरकार की ओर से अगला फैसला अब 1 जुलाई 2021 के बाद ही स्पष्ट होगा। यह आदेश केंद्रीय कर्मचारी और केंद्र सरकार द्वारा पेंशन पाने वाले कर्मचारियों दोनों पर एक समान लागू होगा।
सरकार का यह फैसला कोरोना वायरस महामारी के चलते आए आर्थिक संकट के बीच लिया गया है। कोरोना महामारी की वजह से सरकारी राजस्व बुरी तरह प्रभावित है। सरकार के इस फैसले का असर 54 लाख सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ेगा। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते में 4 फीसदी की बढ़ोतरी पर रोके लगने के बाद सरकार को हर महीने औसतन 1,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। सरकार ने महंगाई भत्ता बढ़ाने के लिए 14,595 करोड़ रुपये के अतिरिक्त लागत निर्धारित की थी। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में जारी लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को काफी गहरा नुकसान पहुंचा है।
बताते चलें कर्मचारियों व पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ता रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के मद में दिया जाता है। पूरी दुनिया में सिर्फ भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश ही ऐसे देश हैं, जिनके सरकारी कर्मचारियों को ये भत्ता दिया जाता है।