कोरोना वायरसः बर्बाद हो गए सामान के जख्मों पर मुआवजे का मरहम कौन लगाएगा?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: May 13, 2020 08:41 PM2020-05-13T20:41:13+5:302020-05-13T20:41:13+5:30

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के आह्वान का मतलब यह कतई नहीं है कि हम दुनिया से अपने आप को काट लेंगे। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के अभियान का यह अर्थ नहीं है कि भारत अपनी ‘ अर्थव्यवस्था को पृथक रखने वाला देश’ बन जाएगा।

Corona Virus: Who Will Apply Compensation Ointment On Wounded Goods Wounds? | कोरोना वायरसः बर्बाद हो गए सामान के जख्मों पर मुआवजे का मरहम कौन लगाएगा?

विभिन्न दुकानों, खासकर छोटे दुकानदारों की दुकानों में पड़े खराब सामान का मूल्यांकन करके उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए,

Highlightsदुकानदार ने करीब डेढ़ माह से बंद दुकान के अंदर एक नजर डाली तो दिल ही बैठ गया। छोटी दुकान में एक लाख तक का सामान होता है, तो शोरूम में करोड़ों का माल होता है।

 

दुकानदार ने करीब डेढ़ माह से बंद दुकान के अंदर एक नजर डाली तो दिल ही बैठ गया। चमड़े के बैग सड़ने लगे थे, कपड़े चूहों ने कुतर डाले थे, कागजों पर दीमक का कब्जा हो गया था। बड़ा सवाल यह है कि कोरोना संकट और लाॅकडाउन के दौरान बंद दुकानों में बर्बाद हो गए सामान के जख्मों पर मुआवजे का मरहम कौन लगाएगा? आमतौर पर दुकानों में जो सामान होता है, उसमें से कुछ सामान तो वर्षों तक खराब नहीं होता, लेकिन बहुत सारा सामान कीड़ों, चूहों, दीमक आदि के कारण बहुत जल्दी खराब हो जाता है, तो एक्सपायरी डेट के सामान का क्या होगा।

छोटी दुकान में एक लाख तक का सामान होता है, तो शोरूम में करोड़ों का माल होता है। इनकी लगातार देखरेख नहीं हो पाए तो सामान खराब होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है। पैकिंग खराब होने के बाद सामान को एमआरपी पर बेचना आसान नहीं है, मतलब- जो सामान बर्बाद होने से बच गया है, उसका भी कोई बड़ा फायदा नहीं है। दुकान में जिनके अपने पैसों का सामान है, उनका नुकसान तो नुकसान है ही, लेकिन जिनकी दुकानों में उधार का माल भरा पड़ा है या लोन से जो सामान ले रखा है, उन पर दोहरी मार है। सामान का पैसा मिलना नहीं है और लोन की किश्त-ब्याज अलग से देना है। लाॅकडाउन के दौरान यदि बरसात आ गई तो बर्बादी की तस्वीर और भी दर्दनाक होगी। विभिन्न दुकानों, खासकर छोटे दुकानदारों की दुकानों में पड़े खराब सामान का मूल्यांकन करके उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए, वरना कई दुकानदार बर्बाद हो जाएंगे।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के आह्वान का मतलब यह कतई नहीं है कि हम दुनिया से अपने आप को काट लेंगे। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के अभियान का यह अर्थ नहीं है कि भारत अपनी ‘ अर्थव्यवस्था को पृथक रखने वाला देश’ बन जाएगा। वित्त मंत्री ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री के इस आह्वान का मतलब एक भरोसे वाले भारत से है जो अपनी ताकत पर निर्भर रह सकता है और साथ ही वैश्विक स्तर पर भी अपना योगदान दे सकता है। वित्त मंत्री ने कहा कि देश के पास क्षमता और उद्यमिता है, जिससे वह बेहतर क्षमता का निर्माण कर सकता है और दुनिया की मदद कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से जब प्रधानमंत्री ‘आत्मनिर्भर’ भारत की बात कर रहे हैं तो उसका मतलब सिर्फ देश के अंदर ही सिमट कर रहना नहीं है और न ही खुद को दुनिया से काटना है।’’ सीतारमण ने यहां 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘निश्चित रूप से यह एक विश्वास से परिपूर्ण भारत की ताकत को दिखाता है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि अस्पताल में काम आने वाले व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों यानी पीपीई, मास्क और वेंटिलेटर का उत्पादन इन 40 दिनों में काफी तेजी से बढ़ा है।’’

Web Title: Corona Virus: Who Will Apply Compensation Ointment On Wounded Goods Wounds?

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