Coronavirus: दिल्ली का पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज अब स्वस्थ है, जानें 16 फरवरी से अबतक उसके साथ क्या-क्या हुआ
By गुणातीत ओझा | Published: March 16, 2020 08:54 AM2020-03-16T08:54:32+5:302020-03-16T08:54:32+5:30
हम बात कर रहे हैं दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाले उस शख्स की जो इटली से लौटा तो कोरोना वायरस से संक्रमित था। एनडीटीवी के मुताबिक यह शख्स 16 फरवरी को इटली गया फिर बुडापेस्ट, विएना होते हुए 25 फरवरी को दिल्ली लौटा।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच अच्छी खबर आई है। दिल्ली में डिटेक्ट हुआ पहला कोरोना वायरस का मरीज अब स्वस्थ है। लगभग एक महीने के खौफ, सकरात्मकता और फिर जीत के बाद राहत की कहानी इस मरीज ने बयां की है। 45 साल का यह शख्श ठीक होने के बाद अब अपने घर पर है।
हम बात कर रहे हैं दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाले उस शख्स की जो इटली से लौटा तो कोरोना वायरस से संक्रमित था। एनडीटीवी के मुताबिक यह शख्स 16 फरवरी को इटली गया फिर बुडापेस्ट, विएना होते हुए 25 फरवरी को दिल्ली लौटा। यहां आने पर उन्हें अपनी तबीयत नासाज समझ में आई। डॉक्टरों से मिलने के बाद उनका टेस्ट हुआ। एक मार्च कोई टेस्ट की रिपोर्ट में वे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए, लेकिन यह बात उन्हें बताई नहीं गई। उन्हें सफदरजंग जाने के लिए कहा गया है। सफदरजंग अस्पताल में एक मार्च की ही रात उनके परिवार के सदस्य भी वहां आए। उन लोगों की भी स्क्रीनिंग की गई।
उन्होंने बताया कि सफदरजंग में दो मार्च को तीन डॉक्टर उनसे मिले और उनको तसल्ली से सारी बात बताई गई। इसके बाद उन्हें 14 दिनों के लिए आइसोलेशन में रखा गया है। इस दौरान उनका दो बार टेस्ट किया गया। टेस्ट के लिए सैंपल थ्रोट और नाक से लिया गया। आइसोलेशन के दौरान 10 वें और 12वें दिन की टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई तो उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों ने उन्हें डिसचार्ज करते हुए हिदायत दी कि 14 दिन के लिए घर पर आइसोलेशन में रहना है। 14 दिन के क्वारंटाइन में रहना है, यानि अलग कमरे में रहना है। इस 14 दिन के दौरान भीड़-भाड़ वाले इलाके में नहीं जाना है।
उन्होंने बताया कि होली के दिन डॉ हर्षवर्धन ने उन्हें फोन किया और उनका हाल जाना। उन्होंने बताया कि इस वायरस को लेकर सरकार की सारी व्यवस्थाएं काफी अच्छी हैं। उन्होंने सफदरजंग की व्यवस्थाओं की तारीफ की।
जानें आइसोलेशन के बारे में क्या कहा
कोरोना वायरस से संक्रमित होने के दौरान आइसोलेशन रखे जाने की प्रक्रिया से लोग घबरा रहे हैं। डर के मारे लोग अपनी बीमारी तक छुपा रहे हैं। इसपर उन्होंने कहा कि मरीज यदि इलाज नहीं करवा रहे तो प्लीज जाएं, इलाज करवाएंगे तो ठीक हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि डर उन्हें भी लगा पर डरने की कोई जरूरत नहीं है। आइसोलेशन से डरना नहीं चाहिए। आइसोलेशन जेल नहीं है। उन्होंने कहा कि आइसोलेशन के दौरान दिन में तीन-चार बार डॉक्टरों की टीम आती है। संक्रमित लोगों को सहायता नंबर दिया जाता है जिसपर 24 घंटे में कभी भी कॉल किया जा सकता है।